- आगरा प्रेस क्लब को समारोह के लिए दिया किराये पर, काट दिया बकरा
- 270 सदस्यों के सम्मान को क्लब पदाधिकारियों की खुली चुनौती
ब्रजेश कुमार गौतम
आगरा। ताज प्रेस क्लब पिछले कई माह से चर्चाओं का अखाड़ा बना हुआ है। निवर्तमान कार्यकारणी का बाहर साल से एक तरफ कब्जा बना हुआ था। पत्रकारों से लेकर प्रशासन को चुनाव कराने में एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा, तब कहीं जाकर चुनाव संपन्न हो सके। ताज प्रेस क्लब को ताजमहल से भी बेहतर करने के कसमें वादे किये गये, लेकिन एक कहावत है कि ढाक के तीन पात, फौज में परैड के दौरान कहा जाता है कि जैसे थे… और इतना सुनते ही जवान पुरानी पोजीशन में आ जाते हैं, कुछ ऐसा ही हाल ताज प्रेस क्लब का है। चुनाव में चुने के पदाधिकारी नये जरूर हैं कि लेकिन उनका काम करने का तरीका पुराना है। मंगलवार शाम को प्रेस क्लब की चार वीडियो और कुछेक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जो बेहद चर्चा का विषय बने हुए हैं। वीडियो में साफ दिख रहा है कि प्रेस क्लब को शादी के आयोजन के लिए दिया गया है और दावत में नॉनवेज है। वह वहीं परिसर में बनाया जा रहा है। चुनाव जीतकर जो अभी सम्मान की पगड़ी उतार भी नहीं पाये हैं, उनको यह तक जानकारी नहीं हैं कि प्रेस क्लब में यह आयोजन किसकी परमीशन से हो रहा है।
मामला कुछ इस प्रकार है कि घटिया आजम खां स्थित ताज प्रेस क्लब जो कि आगरा के पत्रकारों की नाक कहा जाता है। उसकी सदस्यता लेने के लिए पत्रकारों को उंची सिफारिशे तक लगवानी पड़ जाती हैं। प्रेस क्लब के चुनाव हुए अभी पंद्रह दिन नहीं बीतें हैं कि क्लब एक बार फिर से सुर्खियों में है। 270 पत्रकारों ने प्रेस क्लब को भव्य और जर्जर हालत से निजात दिलाने के लिए चुना था। वहां अब टंके की चोट पर कुछ तथाकथित पदाधिकारी अपनी मनमर्जी चला रहे हैं। मंगलवार शाम कुछ वीडियो और फोटो ताज प्रेस क्लब के सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। वीडियो में एक बच्ची हाल में पौंछा लगा रही है, कई मुस्लिम महिलाएं बैठी हुई हैं। एक और वीडियो में प्रेस क्लब के ग्राउंड में टैंट लगा हुआ है। एक बड़े बर्तन में कटा हुआ मांस रखा हुआ है। उसे बनाने के लिए एक दर्जन से अधिक बर्तन पड़े हुए हैं। लोगों का कहना तो यहां तक है कि प्रेस क्लब में ही बकरा काटा गया है, जबकि ऐसा कृत्य होना शर्मनाक है। दावतों में मांस आॅथराइज जगह से ही आना चाहिए। घर, मैरिजहोम, दुकान आदि में कोई पशु नहीं काटा जा सकता।
पुरानी परम्परा पर चल रही नई टीम
ताज प्रेस क्लब से जुड़े रहे पुराने पत्रकारों से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि प्रेस क्लब शुरू से ही शराबियों का अड्डा बना रहा है, हालांकि क्लब में यह सब हो सकता है, लेकिन कुछ पदाधिकारी स्वयंभू बने रहे। उन्होंने जो कहा वह पत्थर की लकीर रही। उनकी तानाशाही ने 12 साल तक चुनाव नहीं होने दिये। प्रेस क्लब को कमाई का जरिया बनाया, कोई लेखा-जोखा नहीं, कोई आॅडिट नहीं, सबकुछ पूरी कार्यकारणी में दो से तीन लोग मठाधीश बने हुए थे। पुरानी कार्यकारणी के कोषाध्यक्ष को कोष का एबीसीडी नहीं पता था। दोनों सचिव जो नई कार्यकारणी में भी चुनाव जीतकर आये हैं। वह भी पिछले कार्यकाल में सिर्फ सफेद हाथी थे। महासचिव के मरणोप्रांत नोमीनेट सचिव को कार्यकारी महासचिव बनाकर मनमानी की गई। चुनकर गये दोनों सचिवों को प्रशासन के सामने निष्क्रिय दिखाया गया।
सोशल मीडिया पर मुंह छिपा रहे पदाधिकारी
प्रेस क्लब के चुनाव में जो लोग सक्रिय रहे, जिन्होंने चुनाव लड़ा था, उनकों नई कार्यकारणी को घेरने का मौका मिल गया है। प्रेस क्लब में कटा बकरा और बकरा कटेगा तो सब में बटेगा। ऐसे मैसेज चल रहे हैं। नये पदाधिकारी भी ग्रुपों में जुड़े हुए हैं। लोग उनसे नाम लेकर पूछ रहे हैं, लेकिन वह क्या कहे, उन्हे तो यह भी नहीं पता कि प्रेस क्लब में कौन-कौन से आयोजन हो सक ते हैं, कितने की रसीद कटती है। रसीद कौन काट सकता है। वो भला सोशल मीडिया पर क्या जबाव दे, इसलिए देखकर भी अनदेखा कर रहे हैं। एक सरल भाषा में कह सकते हैं कि बेचारे मुंह छिपाते घूम रहे हैं।