ताजमहल की छांव में भिक्षावृत्ति का दाग, भीख मांगते मासूम चेहरे; आगरा की शर्मनाक सच्चाई

Faizan Pathan
Faizan Pathan - Journalist
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आगरा, जो ताजमहल के लिए जाना जाता है, आजकल भिक्षावृत्ति की समस्या से जूझ रहा है। शहर के प्रमुख चौराहों पर बच्चों और महिलाओं को भीख मांगते हुए देखा जा सकता है। यह न केवल शहर की छवि को धूमिल करता है बल्कि इन असहाय लोगों के जीवन को भी प्रभावित करता है। इस लेख में हम आगरा में भिक्षावृत्ति के कारणों, प्रभावों और समाधानों पर चर्चा करेंगे।

आगरा । यू तो आगरा शहर ताजनगरी के नाम से जाना जाता है ताज यानी ताजमहल, नगरी यानी आगरा महानगर कुछ इस प्रकार ही ताजनगरी नाम का मतलब है और बड़े ही प्यार से हम इसे मोहब्बत की नगरी से जानते है। ताजनगरी में पूरे भारत से ही नही बल्कि पूरे विश्व से लोग आगरा में स्थित ताजमहल का दीदार करने पर्यटक आते है और ‘वाह ताज’ कह कर जाते है। मोहब्बत की नगरी भिक्षावृत्ति का दाग झेल रही है,पर्यटक ताजमहल के दीदार के साथ साथ अन्य स्थलों का भी लुफ्त उठते है।

लेकिन हम आपका ध्यान एक ऐसी समस्या पर केंद्रित करना चाहते हैं जिसे हम सब हर रोज देखते है, शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसकी नजर ना गई हो और जिसने देखा ना हो। हम बात कर रहे है आगरा शहर कुछ ऐसे चौराहे और स्थानों की जहा पर भीख मांगते बच्चे और महिलाए जिन्होंने रोड पर आपकी गाड़ी का शीशा खटखटाया ही होगा, अगर आप बाइक सवार है तो आपके पैर पकड़ कर वह आपसे भी भिक्षा मांगी ही होगी वह कोन लोग है, कहा के रहने वाले है..? कहा से आए है..? किसी को नही पता।

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इसी तरह आगरा घूमने आए पर्यटकों से भी इनका सामना अकसर होता ही होगा, आखिर हमारे जनप्रतिनिधि, समाजसेवी, प्रशासन का ध्यान इस ओर केसे नही जा पा रहा है हर रोज वह भी गुजरते ओर देखते ही होंगे, तो आखिर क्यों किसी तरह का कोई भी पुख्ता कदम नहीं उठाया गया.? क्यों इन लोगो की कोई सहायता या जानकारी करने क्यों कोई नही आ रहा। अगर पूर्व में कोई उठाया गया भी है तो फिर किसी प्रकार कोई निष्कर्ष नही निकल पाया। घूमने आया पर्यटक अपनी आंखो मे क्या तस्वीर लेकर जाता होगा। यह एक गंभीर और आत्मा को झिंझोड़ देने वाला विषय है। आगरा के महात्मा गांधी रोड के मुख्य चौराहों पर यह नजारा आपको सारे आम देखने को मिल ही जायेगा। जहां छोटे छोटे बच्चे आपको भीख मांगते दिखाई दे ही जायेंगे। ट्रेफिक सिग्नल के बाद गाड़ियों के सामने ही वह खड़े हो जाते है, अगर इसी प्रकार से चलता रहा तो वो दिन दूर भीख मांगते वह बच्चे बीच चौराहे पर किसी हादसे का शिकार न हो जाते।

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चलना चाहिए भिक्षावृत्ति मुक्त अभियान

सदर बाजार, बालूगंज बाजार, सेंटजॉन्स चौराहा, हरिपर्वत चौराहा, भगवास टाकीज,आगरा कैंट जैसे एवं अन्य आगरा के कई ऐसे अन्य स्थान जहा उन्हें देखा जा सकता है। खंदारी चौराहा एवम अन्य स्थानों पर भिक्षावृत्ति दिन प दिन बढ़ती ही जा रही है। यह से गुजरने, रुकने वाले लोगो का जीना दुश्वार ही कर दिया है जिद्द पर अड़े उन बच्चो को पैसे चाहिए ही चाहिए होते है, मानो से किसी के द्वारा उन्हे ट्रैनिक दी गई हो।

होनी चाहिए पुख्ता जांच

हर जगह इनकी जानकारी कर अभियान चलाने से एक तो ताज नगरी की तस्वीर भी बदल जायेगी और लोगो को भी इनके द्वारा काफी परेशान भी किया जाता है।

समस्या के कारण

भिक्षावृत्ति के बढ़ते मामलों के पीछे कई कारण हैं:

  1. आर्थिक स्थिति: गरीब परिवारों के बच्चों को शिक्षा का अभाव है, जिससे वे भीख मांगने पर मजबूर हो जाते हैं।
  2. सामाजिक असुरक्षा: कई लोग इन बच्चों और महिलाओं की स्थिति को नजरअंदाज करते हैं, जिससे उनकी मदद नहीं हो पा रही है।
  3. प्रशासनिक लापरवाही: स्थानीय प्रशासन और समाजसेवियों का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है, जिससे स्थिति और गंभीर हो रही है।
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संभावित समाधान

इस समस्या के समाधान के लिए निम्नलिखित कदम उठाने की आवश्यकता है:

  • भिक्षावृत्ति मुक्ति अभियान: समाज में जागरूकता फैलाने के लिए व्यापक अभियान चलाने की जरूरत है।
  • शिक्षा और प्रशिक्षण: बच्चों को शिक्षा प्रदान करने और उनके परिवारों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
  • सरकारी पहल: प्रशासन को इस समस्या को गंभीरता से लेकर प्रभावी कदम उठाने चाहिए, ताकि ताजनगरी की छवि को बेहतर बनाया जा सके।

आगरा की पहचान ताजमहल के साथ-साथ उसकी सामाजिक जिम्मेदारी से भी जुड़ी है। हमें मिलकर भिक्षावृत्ति की इस समस्या का सामना करना होगा और एक बेहतर भविष्य की ओर कदम बढ़ाना होगा। ताजमहल की छांव में सिर्फ प्यार और खुशियों का माहौल होना चाहिए, न कि भिक्षावृत्ति का दाग। आगरा की असली पहचान को बचाने के लिए हर नागरिक को आगे आना होगा।

 

 

 

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फैजान पठान, संवाददाता दैनिक अग्र भारत समाचार, पिछले पाँच वर्षों से भी अधिक राजनीति और सामाजिक सरोकारों पर गहन रिपोर्टिंग कर रहा हु। मेरी लेखनी समाज की सच्चाइयों को सामने लाने और जनसमस्याओं को आवाज़ देने के लिए जानी जाती है। निष्पक्ष, निर्भीक और जनहित पत्रकारिता के करता आया हु और करता रहूंगा। ( कलम से सच बोलना मेरी पहचान है। )
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