किसान नेता चौधरी दिलीप सिंह की अगुवाई में अनवरत आठ महीने चला धरना प्रदर्शन
मनीष अग्रवाल
आगरा (किरावली)। मंजिल को फतह करने के लिए इरादों का पक्का होना लाजिमी होता है। इस कहावत को किसान नेताओं ने सार्थक करके दिखाया है। जनहित में बेहद ही ज्वलंत समस्या के निदान के लिए उन्होंने जो बीड़ा उठाया, उसकी पहली सफलता के रूप में सिंचाई जल संसाधन विभाग बैकफुट पर आ गया है।
आपको बता दें कि जिस फतेहपुर सीकरी में पानी की किल्लत को देखकर बादशाह अकबर ने अपनी राजधानी कक स्थानांतरित कर लिया था। सदियों बाद आज भी उसी फतेहपुर सीकरी ब्लॉक में लगभग चार दर्जन गांव इसी समस्या से जूझ रहे हैं। स्थिति इतनी विकट है कि इन गांवों में कोई अपनी बेटी को ब्याहने के लिए तैयार नहीं है। उपजाऊ फसल उत्पादन पर ग्रहण लगता जा रहा है।
इस समस्या को लेकर किसान नेता चौधरी दिलीप सिंह की अगुवाई में विगत अगस्त माह में प्रतापपुरा स्थित विभागीय कार्यालय पर धरना प्रदर्शन शुरू किया गया। तमाम उतार चढ़ावों के बीच धरना अनवरत रूप से आठ महीने तक जारी रहा। स्थिति की नाजुकता को देखते हुए स्थानीय अधिकारियों ने लखनऊ में बैठे अपने उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेजी। किसान नेताओं के धरने का हवाला देते हुए शासन से आईआईटी रुड़की से फिजिबिलिटी रिपोर्ट बनवाने हेतु 23.60 लाख धनराशि स्वीकृत करने की तत्काल प्रभाव से मांग की।
शासन ने धनराशि की स्वीकृत, किसान नेताओं में दौड़ी ख़ुशी
बता दें कि नहर निर्माण संघर्ष समिति के संयोजक चौधरी दिलीप सिंह की अगुवाई में धरने पर बैठे किसान नेताओं के धरने के बाद दवाब में आये विभाग ने आनन फानन में आईआईटी रुड़की की टीम को प्रभावित स्थानों पर बुलाकर भौतिक सत्यापन कराया था। फाइनल सर्वे हेतु धनराशि की मांग की गयी। इधर किसान नेताओं का धरना भी जारी रहा। किसान नेताओं ने भी ऐलान कर दिया कि जब तक धनराशि स्वीकृत नहीं होगी, वह धरने से नहीं उठेंगे। सकते में आये विभाग ने धनराशि को स्वीकृत कर आईआईटी रुड़की को प्रेषित कर दिया।
फाइनल सर्वे के बाद लगेगी मुहर
किसान नेता चौधरी दिलीप सिंह ने बताया कि स्वीकृत धनराशि मिलने के बाद आईआईटी रुड़की की टीम शीघ्र ही प्रभावित स्थानों पर पहुंचेगी। फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार कर शासन को दी जाएगी। नहर निकालने से लेकर अन्य विकल्पों पर मंथन किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि यहां पर जलस्तर पूरी तरह रसातल में पहुंच चुका है। फसलों की सिंचाई से लेकर पेयजल की बेहद किल्लत है।