सुप्रीम कोर्ट करेगा जस्टिस यशवंत वर्मा के ट्रांसफर पर पुनर्विचार, बार निकायों ने उठाए गंभीर सवाल

Dharmender Singh Malik
3 Min Read
सुप्रीम कोर्ट करेगा जस्टिस यशवंत वर्मा के ट्रांसफर पर पुनर्विचार, बार निकायों ने उठाए गंभीर सवाल

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना ने दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के ट्रांसफर पर पुनर्विचार का आश्वासन दिया है। यह आश्वासन सीजेआई ने छह बार संघों के अध्यक्षों से मुलाकात के बाद दिया। दरअसल, 14 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के आवास से भारी मात्रा में जले हुए नोट मिले थे, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरित करने का निर्णय लिया था।

इलाहाबाद बार संघ का विरोध

इलाहाबाद बार संघ के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा कि सीजेआई ने जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर पर विचार करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि सीजेआई ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर के बाद भी जस्टिस वर्मा से न्यायिक कार्य वापस ले लिया जाएगा।

See also  आगरा में निरंकारी महिला समागम हुआ आयोजित, हजारों महिलाएं शामिल

न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़

इलाहाबाद बार संघ ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के फैसले का विरोध करते हुए अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी थी। संघ ने कहा कि वह भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे न्यायाधीशों को बर्दाश्त नहीं करेगा। सीजेआई से इस मुद्दे पर उन्होंने आपराधिक कानून लागू करने का भी आग्रह किया है।

FIR दर्ज न होने पर सवाल

बार निकायों ने यह भी सवाल उठाया कि 14 मार्च की घटना के बावजूद FIR अभी तक क्यों दर्ज नहीं की गई? बार संघों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तो वे देशभर के उच्च न्यायालयों में धरना प्रदर्शन करेंगे।

See also  आगरा पुलिस कारनामा: पूर्व विधायक के चोरी हुए एक लाख, बरामद किये 77000 पर कोर्ट में केवल 10,000 रुपये की रिपोर्ट पेश की

इस सप्ताह की शुरुआत में, सीजेआई ने घटना की विस्तृत जांच के लिए एक तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया था, जिससे कानूनी हलकों में हलचल मच गई थी। हालांकि, जस्टिस वर्मा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें मीडिया में बदनाम किया जा रहा है।

न्यायपालिका के प्रति विश्वास बनाए रखने की चुनौती

इस घटनाक्रम ने न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के आरोपों और उच्च न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ पारदर्शिता की जरूरत पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। बार निकायों की चिंता इस बात को लेकर है कि यदि इस तरह के मामलों में सख्त कार्रवाई नहीं होती है, तो न्यायपालिका के प्रति जनता का विश्वास कमजोर हो सकता है।

See also  दुल्हन के गांव पहुंचने से पहले पहुंच गई चार मौतों की खबर, यमुना एक्सप्रेस वे पर हुआ हादसा
Share This Article
Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
Leave a comment