मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी ‘खेल’ कर रही अछनेरा पुलिस: निलंबित दरोगा को जगदीशपुरा में तैनात दिखाकर फर्जी रिपोर्ट दाखिल, पीड़ित परिवार न्याय से वंचित

Jagannath Prasad
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मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी 'खेल' कर रही अछनेरा पुलिस: निलंबित दरोगा को जगदीशपुरा में तैनात दिखाकर फर्जी रिपोर्ट दाखिल, पीड़ित परिवार न्याय से वंचित

आगरा/अछनेरा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा स्थापित जन सुनवाई पोर्टल (आईजीआरएस) का उद्देश्य जनता की शिकायतों का पारदर्शी और निष्पक्ष समाधान करना है, लेकिन थाना अछनेरा पुलिस पर अब इस प्रणाली के दुरुपयोग के गंभीर आरोप लग रहे हैं।थाना अछनेरा में तैनात उपनिरीक्षक सोवरन यादव को अनुशासनहीनता और लापरवाह कार्यशैली के चलते 1 मई 2025 को डीसीपी पश्चिम अतुल शर्मा द्वारा निलंबित कर पुलिस लाइन भेजा गया था। इसके बावजूद, 11 मई को दरोगा की पत्नी सरोज देवी द्वारा मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई शिकायत पर अछनेरा पुलिस ने झूठी रिपोर्ट दाखिल कर दी। 31 मई को दी गई रिपोर्ट में पुलिस ने दरोगा को थाना जगदीशपुरा में तैनात दिखा दिया।

दरोगा की पत्नी ने लगाए गंभीर आरोप

पीड़िता सरोज देवी ने बताया कि उनके पति को तत्कालीन थाना प्रभारी ने गाली-गलौज कर जान से मारने की धमकी दी थी। इस घटना की शिकायत 25 अप्रैल को थाना अछनेरा में की गई थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। बाद में मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की गई, पर वहां भी पुलिस ने मनगढ़ंत रिपोर्ट देकर मामले को रफा-दफा कर दिया।

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रिपोर्ट से खुली पुलिस की कार्यशैली की पोल

दरोगा को निलंबन के बाद पुलिस लाइन भेजा गया था, लेकिन पोर्टल पर उसे थाना जगदीशपुरा में तैनात दिखाना सीधे तौर पर उच्चाधिकारियों के निर्देशों की अवहेलना और गंभीर प्रशासनिक लापरवाही है।थाना जगदीशपुरा प्रभारी निरीक्षक प्रदीप सिंह ने स्पष्ट किया कि “सोवरन सिंह यादव (PNO:  882412449 ) वर्तमान में हमारे थाने में तैनात नहीं हैं।” वहीं, पुलिस लाइन आरआई विनोद कुमार ने पुष्टि की कि दरोगा फिलहाल लाइन में ही तैनात हैं। जब इस संबंध में डीसीपी पश्चिम अतुल शर्मा से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि “वह इस मामले को दिखवाएंगे।”

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पीड़ित परिवार न्याय की तलाश में भटक रहा

परिवार ने अब पुलिस आयुक्त आगरा से निष्पक्ष जांच और उचित कार्रवाई की मांग की है। यह मामला एक बार फिर इस ओर इशारा करता है कि यदि जनसुनवाई पोर्टल जैसे तंत्र का दुरुपयोग यूं ही होता रहा, तो यह सिर्फ औपचारिकता बनकर रह जाएगा।

अब निगाहें पुलिस आयुक्त की कार्रवाई पर

मुख्यमंत्री स्तर की शिकायत प्रणाली में भी जब फर्जी रिपोर्ट लगाकर मामले दबाए जा रहे हों, तो आम नागरिक को न्याय की उम्मीद किससे होगी? अब देखना यह है कि आगरा पुलिस कमिश्नरेट इस प्रकरण को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या कार्रवाई करता है।

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