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न्याय देने वाले को न्याय नहीं, बुजुर्ग अधिवक्ता की फरियाद, भाई-भतीजों ने दिया धोखा, हड़पी संपत्ति

MD Khan
3 Min Read

आगरा (खेरागढ़) : खेरागढ़ में रहने वाले 75 वर्षीय वरिष्ठ अधिवक्ता डोंगर सहाय शर्मा के साथ एक दुखद घटना हुई है। जिन्होंने जीवन भर दूसरों को न्याय दिलाने में अपना योगदान दिया, आज वे खुद न्याय की गुहार लगा रहे हैं। उनके भाई और भतीजे ने उनकी पैतृक संपत्ति पर कब्जा कर लिया है।

क्या है मामला?

75 वर्षीय बुजुर्ग अधिवक्ता जिंदगी भर दूसरें लोगों को न्याय दिलवानें में अग्रसर रहें ,परन्तु वह स्वयं को न्याय नहीं दिला सकें , उम्र कें आखरी पड़ाव पर वह परिजनों एवं सिस्टम से हार मान गये। मामले के अनुसार 75 वर्षीय डोंगर सहाय शर्मा गांव चीत कें मूल निवासी है। उनकी खेरागढ़ कस्बें में पैतृक संपत्ति है जिसमें एक मकान एवं 16 दुकान है।

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अधिवक्ता डोंगर सहाय शर्मा द्वारा उक्त संपत्ति कें बटवारे के बाबत सिविल अदालत में मुकदमा प्रस्तुत करने पर तत्कालीन अदालत नें 20 फरवरी 2014 को उक्त संपत्ति को तीन भागों में बाटने के आदेश दिये। 1/3 भाग में अधिवक्ता डोंगर सहाय शर्मा को 1/3 भाग में उनके भाई सोबरन सिंह की विधवा पत्नी श्रीमती शारदा देवी को एवं 1/3 भाग में सुरेंद्र कुमार शर्मा आदि को हिस्सेदार बनाया। अधिवक्ता के मकान में 1/3 हिस्से के साथ साथ उनके हिस्से में चार दुकानें भी आई परन्तु उनके परिजनों द्वारा उन्हें कोई हिस्सा नहीं दिया । जिस पर कब्जे हेतु वर्ष 2023 में अधिवक्ता द्वारा पुनः अदालत में मुकदमा प्रस्तुत किया गया। अधिवक्ता का आरोप है कि उनके हिस्से की दुकानों से उनके भाई सुरेंद्र कुमार का पुत्र मनोज उर्फ छोटू एवं सतेंद्र कुमार दबंगई के बल पर स्वयं किराया वसूल करतें है। शिकायत पर अधिवक्ता को जान से मारने की धमकी दी जाती हैं।

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विधवा भाभी भी हैं परेशान

बुजुर्ग अधिवक्ता की विधवा भाभी श्रीमती शारदा देवी की कोई संतान नहीं है। इनके डर से वह बाहर रहती है। उन्होंने अपने हिस्से की दुकानों को अन्य को बेच दिया हैं। एवं मकान कें हिस्से का दान पत्र भी अन्य के नाम कर दिया हैं । उस पर भी मनोज कुमार एवं सतेंद्र कुमार द्वारा अवैध कब्जा कर लिया है। अधिवक्ता के अनुसार इन लोगों ने फर्जी दान पत्र भी अपनें नाम से बना लिया हैं। भाई भतीजों कें डर से अधिवक्ता का अपने घर जाना भी दुस्वार हो गया हैं। प्रशासन से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिल रहीं हैं। थक हार कर उन्होंने मुख्यमंत्री के समक्ष पहुंच गुहार लगाने की बात कही हैं।

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