नई दिल्ली: 15 राज्यों की 56 सीटों पर राज्यसभा चुनाव होने हैं, लेकिन सबकी नज़रें 2 राज्यों पर टिकी हैं। ये राज्य हैं उत्तर प्रदेश और कर्नाटक, जहां BJP ने अपना एक्स्ट्रा उम्मीदवार उतारकर अपने विरोधियों को ललकारा है। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की लड़ाई सबसे दिलचस्प हो गई है। राज्य में राज्यसभा की 10 सीटों के लिए BJP ने 7 और समाजवादी पार्टी ने 3 उम्मीदवार उतारे थे। सबका निर्वाचन निर्विरोध तय था। लेकिन, नामांकन के आखिरी दिन यानी 15 फरवरी को BJP ने संजय सेठ के रूप में अपना आठवां उम्मीदवार उतार कर पेंच फंसा दिया। अब 10 सीटों के लिए 11 उम्मीदवार मैदान में हैं। 27 फरवरी को चुनाव की नौबत आ गई है।
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए 37 वोटों की ज़रूरत है। अगर RLD के 9 विधायकों को भी जोड़ लें, तो BJP को 286 विधायकों का समर्थन हासिल है। यानी अपने उम्मीदवारों को जिताने के लिए पार्टी को 10 अतिरिक्त वोटों की ज़रूरत है। इसी तरह समाजवादी पार्टी को अपने तीनों उम्मीदवारों को जिताने के लिए 111 वोटों की ज़रूरत है। जबकि उसके पास कांग्रेस को मिलाकर 110 विधायकों का ही समर्थन हासिल है।
समाजवादी पार्टी को एक और वोट की दरकार
इसका मतलब, समाजवादी पार्टी को एक और वोट की दरकार है। ऐसे में दोनों गुटों की नज़र उन 7 विधायकों पर है जो फिलहाल किसी गुट से नहीं जुड़े हैं। इनमें राजा भैया समेत उनकी पार्टी के 2 और BSP के एक विधायक शामिल हैं। राजा भैया लगातार योगी आदित्यनाथ के समर्थन की बात करते रहे हैं, वहीं BSP समाजवादी पार्टी के खिलाफ है।
ऐसे में अगर समाजवादी पार्टी अपने लिए एक अतिरिक्त वोट नहीं जुटा पाती है, तो फिर निर्वाचन के लिए द्वितीय वरीयता वोटों की ज़रूरत पड़ेगी. आंकड़ों के लिहाज से द्वितीय वरीयता वोटों में BJP आराम से बाज़ी मार लेगी।
यूपी से BJP उम्मीदवार संजय सेठ ने कहा, “देश में पीएम मोदी की जो गारंटी चल रही है. देश में जो काम हो रहे हैं. विदेशों में जैसे भारत का नाम हो रहा है। साथ ही सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी में जो काम हो रहे हैं, उसपर भरोसा है। हमारे पास पूरे नंबर हैं और जीत को लेकर हम आश्वस्त हैं।
पहले सपा में थे संजय सेठ
BJP मान रही है कि वोटिंग में वह संजय सेठ को भी जीता लेगी. संजय सेठ पहले सपा में थे. सपा ने उन्हें राज्यसभा भेजा था, लेकिन फिर वह BJP में शामिल हो गए। उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। उस सीट पर जब उपचुनाव हुए थे।
पल्लवी पटेल ने दिखाए तेवर
सपा की मुश्किल इसलिए और बढ़ गई है, क्योंकि पार्टी विधायक पल्लवी पटेल ने उम्मीदवारों के चयन में PDA की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पार्टी के पक्ष में मतदान नहीं करने का ऐलान कर दिया है। पल्लवी पटेल केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की बहन हैं।
कर्नाटक में भी राज्यसभा चुनाव का मामला दिलचस्प
कर्नाटक में भी राज्यसभा चुनाव का मामला कम दिलचस्प नहीं है। राज्य में खाली होने जा रही 4 सीटों के लिए 5 उम्मीदवारों ने पर्चा भरा है। इसके चलते चुनाव तय माना जा रहा है। इनमें कांग्रेस से 3 उम्मीदवार और BJP-JDS के एक-एक उम्मीदवार हैं। इस चुनाव में एक उम्मीदवार को जीत के लिए न्यूनतम 45 वोटों की ज़रूरत है। राज्य विधानसभा में कांग्रेस के पास 135 विधायक हैं, जो 3 सीटें जीतने के लिए पर्याप्त हैं. जबकि BJP और JDS के पास कुल 85 विधायक हैं। इसके अलावा 4 अन्य विधायकों में 3 के कांग्रेस उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करने की संभावना है।
संख्याबल को बढ़ाने की ज़ोरदार कोशिश
पिछले कुछ सालों में BJP ने लोकसभा की तरह ही राज्यसभा में भी अपने संख्याबल को बढ़ाने की ज़ोरदार कोशिश की है। इससे राज्यसभा में BJP की संख्या 93 तक पहुंच गई है। पार्टी को जहां भी संभावना दिखती है, वहां मैदान में उतरती है। हरियाणा में कम से कम दो मौके ऐसे आए हैं, जब संख्याबल नहीं रहते हुए भी BJP समर्थित उम्मीदवारों ने बाज़ी मारी है। सुभाष चंद्र और कार्तिकेय शर्मा का निर्वाचन इसी का उदाहरण है।
इसी तरह गुजरात में साल 2017 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय अहमद पटेल की उम्मीदवारी को कड़ी चुनौती मिली थी। हालांकि, चुनाव में BJP को हार का सामना करना पड़ा था।