गाजियाबाद | आज सायं छठ पर्व का प्रथम स्नान है, ऐसे में सुविधाओं के लिए नगर निगम के द्वारा दावे तो बड़े-बड़े किए जा रहे हैं | लेकिन सच्चाई इससे कुछ अलग है, आज जब अग्र भारत समाचार ने हिंडन नदी पर बनाए गए प्रमुख छठ घाट का भ्रमण किया तो वहां पर कई सारी अनियमितताएं देखने को मिली | नगर निगम के अनुसार हिंडन छठ घाट की बेहतर ढंग से साफ-सफाई कराई गई है | लेकिन जो तस्वीरें निकल कर आ रही हैं वह कुछ और ही बयां कर रही हैं | पहले तस्वीर में छठ घाट पर घास और कटीली झाड़ियां स्पष्ट देखने को मिल रही हैं | आज शाम को इन्हीं घास और झाड़ियों के ढेर में छठ व्रती शाम को पहला स्नान करेंगे | यह स्थिति किसी एक स्थान विशेष की नहीं है, हिंडन नदी तट के ज्यादातर क्षेत्रों में यही स्थिति बनी हुई है | नगर निगम ने घाट की सफाई के नाम पर मात्र ग्रीन पर्दा लगा कर अपने कार्यों की इतिश्री कर ली है | सुबह जहां-तहां लोग स्वयं से इन घास और झाड़ियों की सफाई करते भी देखे गए |
श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन ने 6 मोबाइल टॉयलेट उपलब्ध कराने की घोषणा की थी लेकिन आज सुबह 12:00 बजे तक की स्थिति यह थी कि मात्र 5 मोबाइल टॉयलेट हिंडन तट पर दिखे जिनमें ज्यादातर क्षतिग्रस्त स्थिति में है | स्पष्ट है कि जिला प्रशासन विशेष रुप से नगर निगम मेला में व्यवस्थाएं उपलब्ध कराने के लिए गंभीर नहीं है |
लंबे समय से लोगों की मांग और समाचार पत्रों के माध्यम से मामले के प्रकाशन के बाद भी हिंडन नदी तट का धोबी घाट इस वर्ष भी अंधेरे में ही रहेगा | आपको बताते चलें इससे घाट पर हजारों की संख्या में छठ व्रती महिलाएं स्नान और सूर्य को अर्घ्य देने के लिए आते हैं | लेकिन यहां पर प्रकाश व्यवस्था तो दूर सफाई व्यवस्था और दवाओं का छिड़काव भी देखने को नहीं मिला | ऐसे समय में जब मलेरिया तेजी से उत्तर प्रदेश में पांव पसार रहा है फिर भी नगर निगम संबंधित घाट पर किसी भी प्रकार की दवाओं के छिड़काव को लेकर गंभीर नहीं है | इस संबंध में नगर स्वास्थ्य अधिकारी से जब जानने का प्रयास किया गया तो उनका कहना था | प्रशासन द्वारा जितने घाट चिन्हित किए गए हैं उन्हीं घाटों में ही नगर निगम व्यवस्थाएं उपलब्ध कराने के लिए जिम्मेदार है | नगर स्वास्थ्य अधिकारी को यह समझना चाहिए कि जब मात्र 100 मीटर की दूरी पर आप सभी व्यवस्थाएं उपलब्ध करा रहे हैं तो ऐसे में वह लोग जिनको मुख्य घाट पर जगह नहीं मिल पाया और मजबूरी बस उनको दूसरे स्थानों का सहारा लेना पड़ा | क्या उनके लिए आवश्यक दवाओं का छिड़काव भी संबंधित घाटों पर नहीं किया जा सकता ? यह सिर्फ हठधर्मिता है और इससे ज्यादा कुछ नहीं | कहीं ना कहीं इन सब के लिए नगर आयुक्त गाजियाबाद भी जिम्मेदार हैं, महोदय अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में छठ व्रतियों को सिंबॉलिक रूप से पूजा का पाठ पढ़ा रहे थे | लेकिन यह पाठ पढ़ाने से पहले जरूरी यह था कि आप अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते, लोगों को सुविधाएं उपलब्ध कराते और उसके बाद यदि सिंबॉलिक पूजा का ज्ञान बांटते तो इसका असर ज्यादा देखने को मिलता |