लखनऊ : समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला को शत्रु संपत्ति हड़पने के मामले में एक बार फिर आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। पुलिस ने हाल ही में की गई विवेचना के आधार पर पिता-पुत्र को फिर से आरोपित बनाया है। न्यायालय ने आजम खां की रिमांड अर्जी को खारिज कर दिया है, और अब मामले की सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी।
इससे पहले आजम खां को इस मामले में क्लीन चिट दी गई थी, लेकिन नए सिरे से जांच के बाद उन्हें फिर से आरोपित किया गया है। विवेचना अधिकारी ने पिता-पुत्र के रिमांड के लिए न्यायालय में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था, जिस पर आजम खां ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से आपत्ति जताई थी। न्यायालय ने उनकी आपत्ति को खारिज कर दिया है।
इस मामले में आरोप है कि शत्रु संपत्ति को हड़पने के लिए फर्जीवाड़ा किया गया। यह मामला तब सामने आया जब रिकॉर्ड रूम के सहायक अभिलेखपाल मोहम्मद फरीद ने लखनऊ के पीरपुर हाउस निवासी सैयद आफाक अहमद और अज्ञात के खिलाफ सिविल लाइंस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
यह शत्रु संपत्ति आजम खां की जौहर यूनिवर्सिटी के आसपास स्थित थी और इसका रिकॉर्ड इमामुद्दीन कुरैशी के नाम पर था, जो विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए थे। 2006 में यह संपत्ति शत्रु संपत्ति के रूप में दर्ज की गई थी।
राजस्व विभाग की जांच में पाया गया कि फर्जीवाड़े के माध्यम से आफाक अहमद का नाम गलत तरीके से राजस्व रिकॉर्ड में शामिल किया गया था। जांच में आजम खां और उनके बेटे का नाम भी प्रकाश में आया था, लेकिन उन्हें बाद में क्लीन चिट दी गई थी।
हालांकि, मामले की पुनर्विवेचना के बाद आजम खां और उनके बेटे को आरोपित बनाया गया है। अभियोजन का तर्क है कि दस्तावेजों में पर्याप्त साक्ष्य हैं, जिसके आधार पर रिमांड की मांग की गई थी। अब मामले की सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी।