आगरा: बेसिक शिक्षा विभाग में एक कनिष्ठ बाबू के सात साल के कार्यकाल में करोड़पति बनने की चौंकाने वाली खबर सामने आई है। इस शातिर बाबू पर न केवल भ्रष्टाचार के जरिए अकूत संपत्ति अर्जित करने का आरोप है, बल्कि छल से विभाग में नौकरी पाने और विभागीय आदेशों को दरकिनार करने जैसे गंभीर आरोप भी लगे हैं। भ्रष्टाचार के मामले में जेल जा चुके इस बाबू को बावजूद इसके बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) द्वारा महत्वपूर्ण पटल सौंपे जाने से विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। इस भ्रष्ट बाबू के खिलाफ शासन से लेकर प्रशासन तक शिकायतें दर्ज कराई गई हैं, जिसमें आरोपों के साथ साक्ष्यों की प्रतियां भी संलग्न हैं।
किरावली निवासी शिकायतकर्ता जमील कुरैशी के अनुसार, इस कनिष्ठ बाबू के उत्पीड़न से दुखी होकर उनकी पत्नी ने आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद बाबू ने विभाग में कथित सांठगांठ कर मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी हथिया ली। शिकायत में यह भी कहा गया है कि बाबू की नौकरी लगने से पहले ही उसने दूसरी महिला से दूसरी शादी कर ली थी और उनके पुत्र की उम्र दोनों की शादी से अधिक है, जिससे बाबू की नियुक्ति को फर्जी साबित किया जा सकता है। जमील कुरैशी ने बताया कि जब उक्त बाबू को नौकरी दी गई, तब परिषदीय लिपिक का कोई पद रिक्त ही नहीं था। सैंया निवासी मनोज खां और रहनकलां निवासी प्रदीप शर्मा भी इस मामले की शिकायत शासन-प्रशासन से कर चुके हैं, लेकिन आज तक कोई प्रभावी जांच या कार्रवाई नहीं हुई है।
आरोपों के मुताबिक, इस भ्रष्ट बाबू ने नगर क्षेत्र के दस विद्यालयों को खाली कराकर उन्हें भू माफियाओं को बेच दिया और प्रति विद्यालय खाली कराने के एवज में लाखों रुपए की डील की। इसके अलावा, फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों से भी मोटी उगाही की गई। इन्हीं भ्रष्ट तरीकों के परिणामस्वरूप, सात साल की नौकरी में यह बाबू करोड़पति बन गया है और हाल ही में उसने शास्त्रीपुरम में दो करोड़ रुपए की आलीशान कोठी खरीदी है। चौंकाने वाली बात यह है कि भ्रष्टाचार के एक मामले में सतर्कता विभाग (विजिलेंस) द्वारा गिरफ्तार किए जाने और जेल भेजे जाने के बावजूद, आगरा बीएसए की इस पर मेहरबानी बनी हुई है। वहीं, केंद्रीय राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर मामले की गहन जांच कराकर सख्त कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।
उच्चाधिकारियों के अटैचमेंट समाप्त करने के आदेशों की उड़ी धज्जियां
बेसिक शिक्षा विभाग का यह कथित भ्रष्ट बाबू विभागीय आदेशों को भी खुलेआम ठेंगा दिखाता है। स्थिति यह है कि शासन के निर्देश पर एडी बेसिक आठ बार इस बाबू का अटैचमेंट समाप्त करने के आदेश जारी कर चुकी हैं। सीडीओ, डीएम और कमिश्नर भी इस संबंध में प्रबल संस्तुति कर चुके हैं। इसके बावजूद भी यह लिपिक पिछले सात सालों से बीएसए कार्यालय में जमा हुआ है, जबकि वरिष्ठ बाबुओं को यहां से उनकी मूल तैनाती पर भेजा जा चुका है। उच्चाधिकारियों के स्पष्ट आदेशों की इस तरह अवहेलना विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर करती है। अब देखना यह है कि केंद्रीय राज्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद इस मामले में क्या कार्रवाई होती है और कब इस कथित भ्रष्ट बाबू पर शिकंजा कसा जाता है।