31 साल तक पुलिस विभाग में काम करता रहा जालसाज
उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले के सोनवा थाने में तैनात मुख्य आरक्षी भवनाथ यादव 31 साल से पुलिस विभाग में कार्यरत था। लेकिन एक शिकायत के बाद हुई जांच में यह सच्चाई सामने आई कि भवनाथ यादव ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए पुलिस की नौकरी हासिल की थी। इस खुलासे से न केवल पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया, बल्कि भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर भी सवाल उठने लगे हैं।
शिकायत के बाद हुई जांच
यह मामला तब सामने आया जब देवव्रत यादव नामक व्यक्ति ने एसपी से मिलकर एक शिकायती पत्र दिया। इस पत्र में देवव्रत ने आरोप लगाया कि सोनवा थाने में तैनात मुख्य आरक्षी भवनाथ यादव ने कूटरचित दस्तावेज के माध्यम से 1994 में पुलिस भर्ती में दाखिला लिया था। इसके बाद एसपी घनश्याम चौरसिया ने मामले की जांच शुरू की और मुख्य आरक्षी भवनाथ यादव के अभिलेखों का सत्यापन कराया।
फर्जी दस्तावेजों का हुआ खुलासा
जांच में यह पाया गया कि भवनाथ यादव ने पुलिस भर्ती में जो शैक्षिक अभिलेख पेश किए थे, वे सभी फर्जी थे। उसने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के परीक्षा प्रमाण पत्रों में भी धोखाधड़ी की थी। भवनाथ ने अपने दस्तावेजों में 1989 में हाईस्कूल और 1992 में इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण होने का दावा किया था, लेकिन जब इन प्रमाण पत्रों की जांच की गई, तो माध्यमिक शिक्षा परिषद, वाराणसी से प्राप्त रिपोर्ट में इन शैक्षिक अनुक्रमांकों की पुष्टि नहीं हुई।
इसके अतिरिक्त, भवनाथ ने 1992 में देवरिया जिले के सतासी इंटरमीडिएट कॉलेज से कक्षा 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण होने का दावा किया था, लेकिन कॉलेज के रिकॉर्ड में इस नाम का कोई छात्र दर्ज नहीं था। जांच में यह सामने आया कि भवनाथ ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पुलिस विभाग में नौकरी हासिल की थी।
मामले की कार्रवाई
इस मामले में थानाध्यक्ष सोनवा गणनाथ प्रसाद की तहरीर पर केस दर्ज किया गया और भवनाथ यादव को बर्खास्त कर दिया गया। साथ ही, पुलिस विभाग ने भवनाथ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए उसे जेल भेज दिया। एसपी घनश्याम चौरसिया ने यह भी कहा कि भवनाथ यादव से अब तक प्राप्त वेतन और अन्य लाभ की वसूली की जाएगी, और इस मामले में पूरी तरह से नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी।
भर्ती प्रक्रिया पर उठे सवाल
इस घटनाक्रम के बाद पुलिस विभाग की भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे हैं। इससे पहले शिक्षा विभाग में भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जहां लोग फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी हासिल कर रहे थे। इस घटना ने यह सिद्ध कर दिया कि विभाग में भर्ती के समय और दस्तावेजों की जांच को और अधिक सख्त बनाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसे धोखाधड़ी के मामलों से बचा जा सके।