2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उत्तर प्रदेश में दलित सम्मेलन आयोजित करने की योजना बनाई है। यह सम्मेलन 2 नवंबर को लखनऊ के स्मृति उपवन में होगा। सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि होंगे।
भाजपा का मानना है कि दलित वोट बैंक उसके लिए महत्वपूर्ण है। 2014 के लोकसभा चुनाव में, भाजपा ने उत्तर प्रदेश में दलित वोटों का लगभग 20% हिस्सा हासिल किया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में, यह आंकड़ा बढ़कर 25% हो गया।
भाजपा इस सम्मेलन के माध्यम से दलित वोट बैंक को और मजबूत करना चाहती है। सम्मेलन में, भाजपा दलित समुदाय के लिए अपने कामों को उजागर करेगी। पार्टी दलित समुदाय के लोगों को यह बताने की कोशिश करेगी कि वह उनकी भलाई के लिए प्रतिबद्ध है।
भाजपा ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से दो हजार दलितों को सम्मेलन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है। हालांकि, विधायकों के लिए यह एक चुनौती है। त्योहारों के महीने में, लोगों को सम्मेलन में शामिल होने के लिए समय निकालना मुश्किल होगा।
यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा का यह दलित सम्मेलन 2024 के लोकसभा चुनाव में उसके लिए कितना कारगर होता है।
सम्मेलन को सफल बनाने के लिए ये हैं चुनौतियां
त्योहारों का समय:
सम्मेलन त्योहारों के महीने में आयोजित किया जा रहा है। इस दौरान, लोगों को सम्मेलन में शामिल होने के लिए समय निकालना मुश्किल होगा।
दलित समुदाय का आकर्षण:
भाजपा को दलित समुदाय के लोगों को सम्मेलन में शामिल होने के लिए आकर्षित करना होगा।
प्रतिस्पर्धी दलों की चुनौती:
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी दलित वोट बैंक को साधने के लिए प्रयास कर रही हैं।