आसरा सेंटर आगरा के खिलाफ हुई शिकायत पर हुआ भंडाफोड़
आगरा। विभिन्न वित्तीय संस्थाओं द्वारा अपने सामाजिक सरोकारों के तहत सीएसआर फंड के तहत सरकार को लाभांश प्रदान किया जाता है। सरकार द्वारा इसी सीएसआर फंड से अनेकों सामाजिक प्रकल्प संचालित किए जाते हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सदैव प्राथमिकताओं में शामिल रहने वाले दिव्यांगजनों को सीएसआर फंड के तहत विभिन्न प्रकार की सहायता प्रदान की जा रही है।
बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश के कानपुर में स्थापित एलिमको कंपनी, देश भर में दिव्यांगों के लिए उपकरणों का निर्माण करने वाली एकमात्र विनिर्माण कंपनी है। एलिमको द्वारा आगरा में दिव्यांग उपकरण रिपेयरिंग सेंटर उपक्रम स्थापित किया गया है। जिसका संचालन भारतीय जनता पार्टी के दिव्यांग प्रकोष्ठ के जिला संयोजक देवेंद्र सविता द्वारा किया जा रहा है।
आसरा सेंटर आगरा पर सीएसआर फंड का दुरुपयोग करते हुए दिव्यांगो के मद में मिलने वाले उपकरणों के वितरण में फर्जीवाड़ा करने की शिकायत हुई है। भारतीय दिव्यांग संघ के अध्यक्ष बॉबी गोला ने इस मामले में एलिमको कंपनी को लिखित रूप से शिकायत कर पूरे फर्जीवाड़े की विस्तृत जांच कर सख्त कार्रवाई की मांग की गई है। बॉबी गोला की शिकायत में लगाए गए आरोप बेहद ही गंभीर हैं।
शिकायत के मुताबिक दिव्यांगों को पात्रता के आधार पर तीन और पांच वर्ष में उपकरणों का वितरण किया जाता है। देवेंद्र सविता द्वारा सीएसआर फंड को डकारने के लिए सैकड़ों लाभार्थियों को मोटराइज्ड साइकिल वितरण करने के बाद उन्हीं लाभार्थियों को कागजों में पुनः वितरण दिखा दिया। जबकि उन लाभार्थियों को दुबारा मोटराइज्ड साइकिल मिली ही नहीं, जबकि उनके नाम कागजों में दर्ज हो चुकी थी। कई महीनों की गहन छानबीन के बाद इस फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ हुआ।
शिकायतकर्ता पर बनाया जाने दवाब
बॉबी गोला द्वारा शिकायत लिए जाने के बाद देवेंद्र सविता द्वारा अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर बॉबी गोला को शिकायत वापिस लेने हेतु प्रलोभन दिए जा रहे हैं। अपने आकाओं द्वारा उस पर दवाब भी डलवाया जा रहा है। इधर बॉबी गोला ने शिकायत वापिस लेने से साफ इंकार कर दिया है। उसने साफ कह दिया है कि जब तक सख्त कार्रवाई अमल में नहीं लाई जाएगी, चुप नहीं बैठेंगे।
जनप्रतिनिधियों को बुलाकर दिखाता है रुतबा
मूल रूप से ब्लॉक फतेहपुर सीकरी के गांव ओलेंडा निवासी देवेंद्र सविता सत्ताधारी नेताओं का चहेता रहा है। संगठन के विभिन्न पदाधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों के इर्द गिर्द मंडराता रहता है। इसी की आड़ में उसके द्वारा लगातार दिव्यांगों के हक पर डाका डाला जाता रहा। सरकारी विभागों द्वारा भी कभी इस पर ध्यान देना जरूरी नहीं समझा गया।