एटा: जनपद एटा के विकासखंड जैथरा के अंतर्गत आने वाले गांव धरौली में संचारी रोग नियंत्रण अभियान की स्थिति बदहाल है। ग्रामीणों ने अभियान को महज कागजी औपचारिकता बताते हुए स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। गांव में नालियों की सफाई के नाम पर निकाली गई सिल्ट को सड़कों के किनारे ही छोड़ दिया गया है, जिससे मच्छरों और गंदगी का प्रकोप बढ़ गया है। इसके अलावा, मच्छरों के खात्मे के लिए फॉगिंग और एंटी-लार्वा छिड़काव जैसी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। ग्रामीणों का कहना है कि सफाई कर्मी गांव में नहीं आते, जिससे स्वच्छता और रोग नियंत्रण के प्रयास पूरी तरह विफल हो रहे हैं।
नालियों की सिल्ट बनी मुसीबत
धरौली गांव के शिवम पाण्डेय ने बताया, संचारी रोग अभियान के तहत नालियों की सफाई तो शुरू की गई, लेकिन निकाली गई सिल्ट को सड़कों के किनारे ही ढेर के रूप में छोड़ दिया गया। बारिश के कारण यह सिल्ट सड़कों पर फैल रही है, जिससे आवागमन में परेशानी हो रही है, मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल स्थिति भी बन रही है।
फॉगिंग और छिड़काव का अभाव
संचारी रोगों जैसे डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया को रोकने के लिए फॉगिंग और एंटी-लार्वा छिड़काव आवश्यक है, लेकिन धरौली में इनकी कोई व्यवस्था नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की टीमें गांव में पहुंचती ही नहीं। एक स्थानीय निवासी श्यामवती ने गुस्सा जाहिर करते हुए कहा, हर साल अभियान की बात होती है, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं होता। मच्छरों की वजह से बच्चे और बुजुर्ग बीमार पड़ रहे हैं, लेकिन फॉगिंग का नामोनिशान नहीं है।
सफाई कर्मियों पर लगे आरोप
ग्रामीणों ने सफाई कर्मियों के नियमित रूप से न आने का भी आरोप लगाया है। गांव के मलिखान सिंह ने बताया, सफाई कर्मी कई महीनों में एक बार दिखाई देते हैं। गांव में कूड़ा जमा हो रहा है, और नालियां गंदगी से भरी हैं। अभियान के नाम पर सिर्फ कागजों में काम हो रहा है। ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन इस मामले में तत्काल कार्रवाई करे और सफाई कर्मियों की जवाबदेही सुनिश्चित करे।
ग्रामीणों की मांग
धरौली के निवासियों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि गांव में नियमित फॉगिंग, एंटी-लार्वा छिड़काव और नालियों की समुचित सफाई सुनिश्चित की जाए। इसके साथ ही, सड़कों पर जमा सिल्ट को तत्काल हटाने और सफाई कर्मियों की नियमित उपस्थिति की व्यवस्था करने की मांग उठ रही है।
संचारी रोग अभियान, जो डेंगू, मलेरिया और अन्य मच्छर जनित रोगों को रोकने के लिए चलाया जाता है, धरौली में अपनी विश्वसनीयता खोता नजर आ रहा है।