आगरा: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) की दो सहयोगी कंपनियों, दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण को PPP मॉडल पर भेजे जाने के विरोध में आज 22 जनवरी 2025 को राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन और विद्युत तकनीकी कर्मचारी एकता संघ के तत्वावधान में आगरा में एक घंटे का विरोध प्रदर्शन किया गया। यह प्रदर्शन शाम 5:00 बजे से 6:00 बजे तक आयोजित किया गया, जिसमें स्थानीय विद्युत कार्मिकों, कर्मचारियों और संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपनी आवाज उठाई।
निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन
प्रदर्शन के दौरान, केंद्रीय अध्यक्ष महोदय ने निजीकरण के विरोध में अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे न केवल विद्युत कार्मिकों का भविष्य खतरे में पड़ेगा, बल्कि उत्तर प्रदेश की जनता को भी भारी नुकसान होगा। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ से इस निर्णय को तत्काल रोकने की मांग की, ताकि राज्य की गरीब जनता को इससे होने वाली समस्याओं से बचाया जा सके।
विद्युत दरों में वृद्धि का खतरा
इस दौरान, उपखंड अधिकारी पुष्पेंद्र कुमार ने कहा कि यदि निजीकरण की प्रक्रिया पूरी होती है, तो विद्युत दरों में बेतहाशा वृद्धि होने की संभावना है। उन्होंने चेतावनी दी कि इससे उत्तर प्रदेश की गरीब जनता के लिए बिजली की लागत सहनीय नहीं रह जाएगी, और वे अपनी जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ हो जाएंगे। पुष्पेंद्र कुमार ने बताया कि इसके परिणामस्वरूप राज्य की आर्थिक स्थिति और भी खराब हो सकती है।
कर्मचारियों के रोजगार पर संकट
वहीं, उपखंड अधिकारी फतेहपुर सीकरी, विवेक सारस्वत ने कहा कि इस महंगाई के दौर में यदि निजी कंपनियां कर्मचारियों को निकाल देती हैं, तो उनका और उनके परिवारों का क्या होगा? उन्होंने कहा कि सभी कर्मचारी और उनके परिजन इस बदलाव से प्रभावित होंगे, और बेरोजगारी की स्थिति से जूझेंगे। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश की गरीब जनता बड़े हुए विद्युत दरों का बोझ नहीं सह पाएगी, जिससे उनके जीवन की परिस्थितियां और भी कठिन हो जाएंगी।
2000 में हुए समझौते का उल्लंघन
राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन के जूनियर सचिव स्वप्नेंद्र कुशवाहा ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि जब 2000 में यूपीपीसीएल का गठन किया गया था, तब सरकार ने लिखित समझौता किया था कि यदि एक वर्ष में घाटा कम नहीं किया जा सका, तो इसे फिर से राज्य विद्युत परिषद में बदल दिया जाएगा। लेकिन अब, घाटा एक लाख करोड़ रुपये होने के बाद भी इस राज्य विद्युत परिषद में नवोदय डालकर निजीकरण किया जा रहा है, जो कि पूरी तरह से अस्वीकार्य है। उन्होंने मांग की कि यूपीएसईबी को फिर से पुनर्गठित किया जाए और इसे निजीकरण से बचाया जाए।
प्रदर्शन में शामिल प्रमुख सदस्य
इस विरोध प्रदर्शन में राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन और विद्युत तकनीकी कर्मचारी एकता संघ के सदस्य बड़ी संख्या में शामिल हुए। प्रदर्शन में अजय कुमार (अधिशाषी अभियंता, केंद्रीय अध्यक्ष), महेश कुमार (ट्रांसको जोन अध्यक्ष), नितेश कुमार (जनपद अध्यक्ष), विनय वर्मा (जनपद सचिव), राम कुमार, अजय प्रताप सिंह, नीलेश सक्सेना, राज कुमार, वेद प्रकाश भारती, रॉकी कुमार, यशवीर ओझा, नीरज श्रीवास, प्रमोद कुमार, प्रताप सिंह, रजनीश पाल, दीपक कुमार और विद्युत तकनीकी कर्मचारी एकता संघ से ललित क्षक्रवाल, रमेश कुमार, दिनेश झा, रामेंद्र, संजय सक्सेना, दीपक त्रिपाठी, समीद खान सहित लगभग 150 अन्य साथी मौजूद रहे।
यह विरोध प्रदर्शन इस बात का स्पष्ट संकेत है कि राज्य सरकार द्वारा उठाए गए निजीकरण के कदम से न केवल विद्युत कर्मचारियों को, बल्कि आम जनता को भी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। विद्युत दरों में वृद्धि, कर्मचारियों की नौकरी का संकट और आर्थिक स्थिति पर असर डालने के साथ-साथ, इस कदम से प्रदेश की जनसंख्या के गरीब वर्ग को बहुत बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए, विद्युत कर्मचारी और अन्य संगठन इस फैसले के खिलाफ अपनी आवाज उठा रहे हैं और उत्तर प्रदेश सरकार से इसे रोकने की मांग कर रहे हैं।