आगरा । गुरु ग्रंथ साहिब जी के पहले प्रकाश पूरब की खुशी में आयोजित गुरुद्वारा सिंह सभा माईथान में हुए भव्य कीर्तन दरबार में संगत अमृतरस में डूब गई सर्वप्रथम पावन बानी रेहरास साहिब जी के पाठ हुए उपरांत हजूरी रागी भाई विजेंद्र सिंह के जत्थे ने शबद कीर्तन का गायन किया उसके उपरांत स्त्री सेवा सभा ने अमृतमई वाणी का गायन किया। उसके उपरांत सभी के प्यारे भाई वीर महेंद्र पाल सिंह ने अपनी मधुर रचना से अमृतमई कीर्तन करके सभी को अमृत रस में डुबो दिया उन्होंने सबसे पहले अमृत बचन साध की बानी।
शब्द का गायन किया उसके बाद वाह-वाह बाणी निरंकार है जिस जेवड अवर ना कोए शब्द का गायन किया और बताया कि यह बानी निरंकार की बानी है और निरंकार द्वारा ही उच्चारण की गई है जैसे सूरज है तो किरण है, किरण है तो सूरज है ऐसे ही बानी है तो निरंकार है और निरंकार है तो उसकी वाणी है । उन्होंने कहा कि यह बाणी की खूबसूरती है की वाणी का एक शब्द भी कोई बदल नहीं सकता लेकिन बानी का एक शब्द इंसान का जीवन बदल सकता है। कलयुग में मन की शांति और तन की आरोग्यता के लिए बाणी सबसे बड़ी दवा है इसीलिए कहते हैं सरब रोग का औखद नाम अंत में उन्होंने नानक नाम मिले ता जीवां शब्द का गायन कर सभी को मंत्र मुग्ध किया कार्यक्रम में ज्ञानी कुलविंदर सिंह जी ने सभी के भले की अरदास की।
गुरुद्वारा प्रमुख भाई कमलदीप सिंह ने सभी का धन्यवाद दिया इस अवसर पर मीडिया समन्वयक बंटी ग्रोवर,पाली सेठी,रिंकू गुलाटी, बबलू भैया,जस्सी, रशपाल सिंह, वीरेंद्र सिंह हरपाल सिंह, गुरमुख वयानी, संतोष सिंह, कुलदीप लखानी, दलजीत सिंह, अरविंद सिंह पप्पी, जस्सी भाई, अवनीत कौर, हनी साहनी, परमजीत कौर, रजिंदर सिंह, सतविंदर सिंह आदि गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही। अंत में सर्व धर्म के लोगों ने एक साथ बैठकर लंगर ग्रहण किया।
इस अवसर पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के 1-1 के स्वरूप एवं पुरातन स्वरूपों के दर्शन के संगत आतुर रही और दर्शन करके अपने को धन भाग्य महसूस कर रही थी।