मथुरा। जनपद मथुरा में सतही जल स्रोतों की लगातार बेकदरी की समस्या गंभीर होती जा रही है, जिससे न केवल पानी की कमी बल्कि जल संकट भी गहरा रहा है। लाखों रुपये के प्रयासों के बावजूद, सतही जल स्रोतों को पुनर्जीवित करना मुश्किल हो रहा है। जिले के नागरिकों का मुख्य स्रोत भूगर्भीय जल बन चुका है, लेकिन इसके साथ ही खारे पानी की समस्या भी सामने आ रही है, जो चुनावी मुद्दा बनकर उभरता है। इसके अलावा, भूगर्भीय जल में आर्सेनिक की मौजूदगी भी एक नई चुनौती पेश कर रही है, जो स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती है।
इसी मुद्दे पर ध्यान आकर्षित करने और जल संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए, मथुरा में जिलाधिकारी चन्द्र प्रकाश सिंह के नेतृत्व में जलागम विकास घटक प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 के तहत एक वाटरशेड यात्रा का आयोजन किया गया। इस यात्रा का उद्देश्य जल संरक्षण के महत्व को समझाना और जन जागरूकता फैलाना था। इस कार्यक्रम में जिलाधिकारी के साथ उप कृषि निदेशक राजीव कुमार, जिला कृषि अधिकारी अश्वनी कुमार सिंह और कृषि विभाग के कर्मचारियों ने हिस्सा लिया।
जिलाधिकारी चन्द्र प्रकाश सिंह ने रायफल क्लब से वाटरशेड यात्रा वैन एवं बाइक रैली को हरी झंडी दिखाई, जिसका मार्ग ग्राम पंचायत बरौली स्थित प्राथमिक विद्यालय तक था। इस यात्रा के दौरान, बच्चों और ग्रामीणों ने प्रभात फेरी, जल कलश यात्रा और स्वयं सहायता समूह के माध्यम से जल संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के प्रयास किए।
विधायक पूरन प्रकाश ने कार्यक्रम के दौरान बरौली के काली माता मंदिर पर भूमि पूजन, लोकार्पण और वृक्षारोपण का कार्य किया। इस अवसर पर ग्रामवासियों और कर्मचारियों ने मिलकर मंदिर के पीछे झाड़ी की सफाई भी की। जिला कृषि अधिकारी अश्वनी कुमार सिंह ने ग्रामीणों को जल संचयन, जल ही जीवन है और जल के महत्व पर विस्तार से बताया। उन्होंने यह भी बताया कि जल संरक्षण की प्रक्रिया में टैंक, चौक डैम, खेत तालाब जैसे जल संग्रहण उपायों का कितना महत्व है।
कृषि विज्ञान केन्द्र मथुरा के प्रमुख डॉ. वाईके शर्मा ने जल बचाने के तरीकों के बारे में जानकारी दी और साथ ही खारे पानी से भूमि को बचाने के उपायों पर चर्चा की। विधायक पूरन प्रकाश ने जल शपथ भी दिलवाई, जिसमें ग्रामीणों को जल स्रोतों की सफाई, पुनर्निर्माण, वर्षा जल संचयन और भूमि गत जल को चार्ज करने के बारे में जागरूक किया गया।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जन सहभागिता बढ़ाना, जल संरक्षण को बढ़ावा देना, और भूमिगत जल स्तर को सुधारना है। यह योजना किसानों की आय को दोगुना करने के प्रधानमंत्री के उद्देश्य को हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।