थाना रकाबगंज क्षेत्र स्थित पुलिस क्लब का मामला: निर्माण कार्य की धमक से और बढ़ी दहशत
आगरा। आमजन की सुरक्षा करने वाले आगरा पुलिसकर्मियों के परिवार इस समय भय और दहशत के साये में जीने को मजबूर हैं। थाना रकाबगंज क्षेत्र स्थित पुलिस क्लब में दशकों पुराने जर्जर हो चुके क्वार्टरों में रह रहे पुलिस परिवारों ने पुलिस कमिश्नर श्री दीपक कुमार से गुहार लगाई है कि उन्हें जल्द से जल्द नए आवासों में शिफ्ट किया जाए। रिपोर्ट के अनुसार, पुलिसकर्मियों के परिवार एक बड़ी अनहोनी के डर में जी रहे हैं।
दहशत का माहौल: दरारें, लेंटर गिरना और जर्जर मकान
मौजूदा जर्जर आवासों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। मकानों की दीवारों में गहरी दरारें पड़ गई हैं और कई जगह दीवारें आपस में खरबूजे की तरह खिल गई हैं। सबसे बड़ी चिंता यह है कि पुलिस क्लब परिसर में नई बिल्डिंगों का निर्माण चल रहा है। निर्माण के दौरान इस्तेमाल हो रही जेसीबी, ट्रैक्टरों और बड़ी आधुनिक मशीनों की धमक (वाइब्रेशन) के कारण पुरानी बिल्डिंगों के छतों के लेंटर गिर रहे हैं और मकान कभी भी धराशाई हो सकते हैं।
रिपोर्टर ने पुलिस परिवारों की महिलाओं और बच्चों को दहशत के माहौल में रहते हुए देखा, जहाँ का मंजर अजीब और दर्दनाक था।
नई बिल्डिंगों के निर्माण के बावजूद पुराने में रहने की मजबूरी
पुलिस प्रशासन ने पुलिसकर्मियों के लिए ही नई बिल्डिंगों का निर्माण कराया है, ताकि उन्हें बेहतर आवास मिल सकें, लेकिन इसके बावजूद पुराने और जर्जर मकानों में रह रहे परिवारों को नई बिल्डिंगों में शिफ्ट नहीं किया गया है।
पुलिस परिवारों में इतना दर्द और दहशत है कि जब भी जेसीबी जैसी मशीनें चलती हैं, तो महिलाएं और बच्चे डरकर घर से बाहर आकर खड़े हो जाते हैं, इस उम्मीद में कि अगर मकान गिरा तो कम से कम उनकी जान बच जाएगी।
कर्तव्य और परिवार के बीच फंसा जवान
पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी पर चले जाते हैं, लेकिन उनके दिमाग में हर वक्त यह डर बना रहता है कि कहीं उनका परिवार जर्जर मकानों में किसी बड़े हादसे का शिकार न हो जाए। रात ड्यूटी खत्म कर घर लौटने वाले जवान भी डर के साए में रात काटते हैं और भोर होने का इंतजार करते हैं।
पुलिस कमिश्नर साहब से अपील
पुलिसकर्मियों के परिजनों ने पुलिस कमिश्नर श्री दीपक कुमार साहब से विनम्र अपील की है कि…..
नई बिल्डिंगों में तत्काल शिफ्टिंग: पुलिसकर्मियों के परिवारों को नई निर्मित बिल्डिंगों में रहने की अनुमति दी जाए और उन्हें जल्द से जल्द शिफ्ट किया जाए।
हादसे से बचाव: निर्माण कार्य की धमक से पुरानी बिल्डिंगों के धराशाई होने का गंभीर खतरा है, इसलिए पुलिस परिवारों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए।
“साहब, पुलिस परिवार सुरक्षित रहेगा, तभी जन परिवार सुरक्षित रहेगा।” यह देखना आने वाले समय पर निर्भर करता है कि कमिश्नर साहब अपनी ‘नजरे इनायत’ कब करते हैं और पुलिस परिवारों को जर्जर मकानों से निजात कब मिलती है।
