दहेज प्रथा: एक कलंकित परंपरा, कब लगेगी लगाम..?

Faizan Khan
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दहेज प्रथा, भारतीय समाज का एक ऐसा अभिशाप है जिसने लाखों महिलाओं के जीवन को बर्बाद कर दिया है। यह एक ऐसी कुप्रथा है जिसमें विवाह के समय वधू के परिवार द्वारा वर या उसके परिवार को नकद, गहने, या अन्य संपत्ति दी जाती है। हालांकि यह प्रथा सदियों से चली आ रही है, लेकिन आज भी यह भारतीय समाज के कई हिस्सों में व्याप्त है। जैसे जैसे समय बीत रहा है वैसे वैसे हे यह यह एक सदियों पुरानी प्रथा खत्म होने का नाम ही नहीं के रही है, समाज के ठेकेदारों को कहना चाहते है कि कई पुरानी परंपराएं उसके लिए हर समाज के ठेकेदारों को जागरूक अभियान चलाना चाहिए।

यह वही प्रथा में से एक है जिसने महिलाओं के ऊपर किया जाने वाले अत्याचारों को बढ़ावा दिया है। कुछ लालच के अंबार से भरे व्यक्तियों की विचार धारा के चलते जाने कितनी लड़कियां अपनी जान से भी जा चुकी है। दहेज प्रथा एक ऐसा विषय है जिसके ऊपर सरकार कई कानून लाई है लेकिन जमीन पर अभी भी इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यह प्रथा एक लड़की के परिवार के ऊपर बोझ होता है जो उसे चुकाना ही पड़ता है। क्या इस तरह से समाज का उद्यान हो पाएगा जबकि कुछ ऐसी परंपराएं खत्म करने में हम कितने नाकाम है। कहते है लालच बोहोत बुरी बला है। उसी लालच में डूब कर समाज को आइना दिखाने वाले व्यक्तियों को इस विषय पर विचार भी करना चाहिए।

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दहेज प्रथा की कुछ वजह

समाजिक दबाव: समाज में यह मान्यता है कि दहेज देना लड़की के परिवार की जिम्मेदारी है।

लड़कों को वरियता: लड़कों को लड़कियों की तुलना में अधिक महत्व दिया जाता है, जिस कारण इस प्रथा पर विराम नहीं लग पा रहा है।

शिक्षा का अभाव: शिक्षा का अभाव लोगों को जागरूक नहीं बना पाता।

आर्थिक स्थिति: आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों पर दहेज का बोझ अधिक होता है, ओर यह इस प्रकार का बोझ होता है जहां एक लड़की का बाप अपनी हैसियत से भी ऊपर एक एक बोझ बन जाता है।

दहेज प्रथा के दुष्परिणाम

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महिलाओं के खिलाफ हिंसा: दहेज की मांग पूरी न होने पर महिलाओं के साथ अत्याचार, उत्पीड़न और हत्या जैसे अपराध होते हैं,लोभी लोग कभी खुश नहीं हों पाते वहां ओर ओर ओर के कारण लड़की को इतना मानसिक तनाव के खेरे में डाल देते है जिस कारण इसके बहुत दुष्परिणाम देखने को भी मिलते है।

आर्थिक बोझ: दहेज के कारण वधू के परिवार पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है, लड़की पैदा होके है एक बाप को यह सोच कर कामना पाता है कि लड़की हुई है अब शादी भी करनी है तो दहेज के लिए धन की जरूरत पड़ेगी वह सारी जिंदगी इसी चिंतन में गुजार देता है।

लड़कियों का जन्म कम होना: दहेज के डर से लोग लड़कियों के जन्म को कम महत्व देते हैं।

समाज का पतन: दहेज प्रथा समाज को कमजोर बनाती है और सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ती है।

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दहेज प्रथा के खिलाफ हम कुछ कोशिशें भी कर सकते है..

जागरूकता फैलाना: लोगों को दहेज प्रथा के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक करना की किस प्रकार समाज में इसकी गंध चारों ओर फैली हुई है।

कानून का कड़ाई से पालन: दहेज निषेध अधिनियम का कड़ाई से पालन करना।

समाज में बदलाव लाना: समाज में महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव लाना।

दहेज प्रथा एक गंभीर सामाजिक समस्या है जिसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है। हमें इस कुप्रथा को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए समाज में जागरूकता फैलाना होगी और कानून का कड़ाई से पालन करना होगा। केवल तभी हम एक समतामूलक और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण कर सकते है। हमें धरातल पर जिसको बढ़ावा देना होगा।  लेख- (फैजान खान)

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फैजान खान- संवाददाता दैनिक अग्र भारत समाचार । "मैं पिछले 5 वर्षों से राजनीति और समाजिक मुद्दों पर रिपोर्टिंग कर रहा हूं। इस दौरान, मैंने कई सामाजिक मुद्दों,ओर समस्याओं पर लेख लिखे हैं और लिखता आ रहा हु।
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