जहां स्वार्थ समाप्त होता है मानवता वहीं से प्रारम्भ होती है – मृदुल कृष्ण गोस्वामी

Sumit Garg
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कथा पाण्डाल में श्री गिरिराज पूजन(छप्पन भोग महोत्सव) विशेष धूम-धाम से मनाया गया

कागारौल:- रविवार को श्रीमद भागवत सप्ताह कथा के पांचवे दिन कस्बे के श्री रघुनाथ जी के बड़े मंदिर प्रांगण में अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक श्री मृदुल कृष्ण गोस्वामी ने कहा जहां स्वार्थ समाप्त होता है मानवता वहीं से प्रारम्भ होती है
मानव योनि में जन्म लेने मात्र से जीव को मानवता प्राप्त नहीं होती। यदि मनुष्य योनि में
जन्म लेने के बाद भी उसमें स्वार्थ की भावना भरी हुई है, तो वह मानव होते हुए भी राक्षसी
वृत्ति की पायदान पर खड़ा रहता है। यदि व्यक्ति स्वार्थ की भावना को त्याग कर हमेशा परमार्थ
भाव से जीवन यापन करे तो निश्चित रूप से वह एक अच्छा इन्सान है, यानी सुदृढ मानवता
की श्रेणी में खड़ा होकर पर सेवा कार्य में रत है। क्योंकि परमार्थ की भावना ही व्यक्ति को महान
बनाती है।
परमात्मा श्री कृष्ण की लीलाओं में पूतना चरित्र पर व्याख्यान देते हुए परम श्रद्धेय आचार्य गोस्वामी श्री मृदुल कृष्ण जी महाराज ने कहा कि कंस स्वयं को सब कुछ समझ लिया। हमसे बड़ा कोई न हो। जो हमसे बड़ा बनना चाहे या
हमारा विरोधी हो उसको मार दिया जाय। ऐसा निश्चय कर ब्रज क्षेत्र में जितने बालक पैदा
हुए हो उनको मार डालो, और इसके लिये पूतना राक्षसी को भेजा तो प्रभु श्री बालकृष्ण भगवान ने पूतना को मोक्ष प्रदान किया ही इधर कंस प्रतापी राजा उग्रसेन का पुत्र होते भी स्वार्थ
लोलुपता अधिकाधिक होने के कारण राक्षसो की श्रेणी में आ गया और भगवान श्री कृष्ण
ने उसका संहार किया।
माखन चोरी लीला प्रसंग पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए आचार्य श्री ने कहा कि दूध,
दही, माखन को खा-खाकर कंस के अनुचर बलवान होकर अधर्म को बढावा दे रहे थे, इसलिये

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प्रभु ने दूध, दही, माखन को मथुरा कंस के अनुचरों के पास जाने से रोका और छोटे-छोटे
ग्वाल-बालों को खिलाया जिससे वे ग्वाल-बाल बलवान बनें और अधर्मी कंस के अनुचरों को
परास्त कर सकें। भगवान श्री कृष्ण ग्वाल-बालो से इतना प्रेम करते थे कि उनके साथ बैठकर
भोजन करते-करते उनका जूठन तक मांग लेते थे।

आचार्य श्री ने कहा कि हम जीवन में वस्तुओं से प्रेम करते है और मनुष्यों का उपयोग करते

है। ठीक तो यह है कि हम वस्तुओं का उपयोग करें और मनुष्यों से प्रेम करें। इसलिये हमेशा से प्रेम की भाषा बोलिये जिसे बहरे भी सुन सकते हैं और गूंगे भी समझ सकते है। प्रभु की माखन चोरी लीला हमें यही शिक्षा प्रदान करती है।
विशेष महोत्सव के रूप मे आज श्री गिरिराज पूजन(छप्पन भोग महोत्सव) विशेष धूम-धाम
से मनाया गया। कल की कथा में विशेष महोत्सव के रूप में श्री रुक्मिणी विवाह महोत्सव अति
हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा। आयोजक छीतरमल अग्रवाल,कुसुमलता अग्रवाल,दिनेश अग्रवाल,नरेश अग्रवाल, सौरभ अग्रवाल
कथा श्रवण करने के दौरान:-एमएलसी डॉ आकाश अग्रवाल,पूर्व जिलाध्यक्ष श्याम भदौरिया,भगवानदास बंसल, कल्याण प्रसाद,विष्णु दयाल,अजय शर्मा,आर एन, डॉ गिरीश गुप्ता,ब्रजमोहन,मनीष गुप्ता,हरेंद्र,मनोज,वेदप्रकाश,महेश अग्रवाल सचिन गोयल आदि।

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प्रभारी-दैनिक अग्रभारत समाचार पत्र (आगरा देहात)
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