आगरा : आठ साल में सुशासन के दावों के बीच, क्या आगरा में बेसिक शिक्षा विभाग के भ्रष्टाचार पर लग पाएगा अंकुश?

Jagannath Prasad
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जनपद में विभाग की तस्वीर बदलने के लिए मेजर सर्जरी की जरूरत

घाघ बाबुओं के कॉकस ने सिस्टम को पूरी तरह किया हाईजैक

आगरा। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के दोनों कार्यकाल मिलाकर 8 साल पूरे हो चुके हैं। इस दौरान प्रदेश सरकार ने बेसिक शिक्षा के क्षेत्र में अभिनव कार्य किए हैं। परिषदीय विद्यालयों की तस्वीर बदलने के लिए सरकार ने महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। प्रदेश सरकार द्वारा अपने कार्यों को सेवा, सुशासन एवं गरीब कल्याण का नाम दिया गया है। लेकिन इसी सुशासन के नारे को आगरा के बेसिक शिक्षा विभाग में जमकर पलीता लगाया जा रहा है।

आपको बता दें कि जनपद के बेसिक शिक्षा विभाग की अनियमितताएँ एवं कथित भ्रष्टाचार किसी से छिपा नहीं हैं। नियम विरुद्ध तरीके से कार्य करना विभागीय अधिकारियों एवं बाबुओं का शगल बन चुका है। प्रदेश सरकार के 8 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आगरा के दौरे पर आ रहे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने जब आगरा के बेसिक शिक्षा विभाग का मामला आएगा, तो उनका भी आश्चर्य में पड़ना तय है।

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अटैचमेंट पर तैनात बाबुओं की जमकर मनमानी

शासन द्वारा अटैचमेंट पर सख्त रोक होने के बावजूद आगरा के बेसिक शिक्षा विभाग के जिला मुख्यालय पर आधा दर्जन से अधिक बाबू अब भी अटैचमेंट पर तैनात हैं। इन्हें अटैचमेंट से हटाकर उनके मूल तैनाती स्थल पर भेजने हेतु अनेकों बार पत्र जारी हुए, लेकिन वे पत्र रद्दी की टोकरी में डाल दिए गए। मुख्यालय पर नियम विरुद्ध तैनाती का लाभ पाकर घाघ बाबू जमकर कथित भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं।मुख्यालय पर अटैचमेंट पर तैनात एक बाबू तो इतना कुख्यात हो चुका है कि पूर्व में उसे खंदौली भेजने का आदेश जारी हुआ था, लेकिन वह आज भी मुख्यालय पर टिका हुआ है। विभाग के महत्वपूर्ण पटलों से लेकर डीसी ट्रेनिंग जैसा पद भी उसने हथिया लिया है। बीते दिनों उसका उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री के साथ फोटो भी वायरल हुआ था, जिस पर लोगों ने जमकर आपत्ति दर्ज की थी।

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नॉन-एचआरए से एचआरए और दंड की जगह मिल रहा लाभ

आपको बता दें कि कोई भी शिक्षक अगर नॉन-एचआरए विद्यालय में तैनात है, तो उसका निलंबन होने के उपरांत बहाली भी नॉन-एचआरए वाले विद्यालय में ही होगी। लेकिन विभागीय संलिप्तता के चलते बीते दिनों आधा दर्जन से अधिक शिक्षकों को उनके निलंबन के बाद नॉन-एचआरए से एचआरए वाले विद्यालय में बहाल कर दिया गया। इस तरह जिन शिक्षकों को दंड मिलना चाहिए था, उन्हें सीधा लाभ मिल गया।हाल ही में बेसिक शिक्षा विभाग, आगरा के दो पत्र वायरल हुए हैं, जिनमें दो शिक्षकों को निलंबन के बाद दूरस्थ ब्लॉक में तैनाती दी गई थी, लेकिन अपनी सांठगांठ के चलते उन्हें जिला मुख्यालय पर तैनाती मिल गई। इनमें से एक शिक्षक को जगनेर से मुख्यालय और दूसरे को शमशाबाद से मुख्यालय पर तैनाती दी गई।

निलंबितों को मिलता है पूरा वेतन, माहौल खराब करने वालों पर नहीं होती कार्रवाई

बताया जाता है कि बाबुओं की मेहरबानी से निलंबित शिक्षकों को पूरा वेतन मिलने में कोई दिक्कत नहीं होती। इसके लिए उन्हें कथित रूप से सुविधा शुल्क देना पड़ता है। उधर, हाल ही में बरौली अहीर के एक विद्यालय में जमकर बवाल हुआ था। विभागीय अधिकारियों ने इस पर पर्दा डालने की पूरी कोशिश की, और आज तक समुचित कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई।

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क्या भ्रष्टाचार मुक्त बन पाएगा आगरा का बेसिक शिक्षा विभाग?

केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा बेसिक शिक्षा के लिए मोटी धनराशि आवंटित की जाती है। स्कूलों के कायाकल्प हेतु बजट जारी होता है। लेकिन सरकार के इन प्रयासों पर आगरा जनपद के अधिकारी और बाबू मिलकर पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। जिन बाबुओं से अधिकारियों को फायदा होता है, वे जानबूझकर उन्हें मुख्यालय से अटैचमेंट हटाने का आदेश नहीं देते। उच्च अधिकारियों को इस मामले में जमकर भ्रमित किया जाता है।

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