पिछले कुछ दिनों से दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा सुर्खियों में बने हुए हैं। हाल ही में उनके दिल्ली स्थित सरकारी आवास से बड़ी मात्रा में कैश मिलने की खबरें सामने आई थीं, जिसके बाद उनके खिलाफ कई सवाल उठने लगे। इसके बाद, सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें जले हुए नोटों के बंडल दिखाई दे रहे थे। यह घटनाक्रम उस वक्त सामने आया जब उनके घर पर आग लगने के बाद फायर ब्रिगेड की टीम पहुंची थी। हालांकि, यह भी बताया गया कि जब आग लगी थी, जस्टिस वर्मा शहर से बाहर थे। इस पूरे विवाद के बाद अब सवाल उठने लगा है कि क्या जस्टिस यशवंत वर्मा इलाहाबाद हाई कोर्ट जॉइन कर पाएंगे, और इसके खिलाफ इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने आज से विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
क्या है पूरा मामला?
जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से कैश मिलने की खबरें पहले दिन तब आईं, जब दिल्ली में उनके आवास पर एक फायरफाइटिंग ऑपरेशन चल रहा था। इस दौरान, वहां बड़ी मात्रा में कैश बरामद होने का दावा किया गया। सूत्रों के अनुसार, जस्टिस वर्मा उस समय शहर से बाहर थे। इसके अलावा, उनके घर के बाहर जले हुए नोटों के बंडल की तस्वीरें भी वायरल हुई थीं। इस पर दिल्ली पुलिस ने जांच शुरू की और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक रिपोर्ट भी जारी की थी।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की 20 और 24 मार्च की मीटिंग में जस्टिस यशवंत वर्मा के इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर किए जाने की सिफारिश की गई। इसके बाद, जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट के रोस्टर से हटा दिया गया। इस सिफारिश के बाद, इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने इसका विरोध करते हुए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है।
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इलाहाबाद हाई कोर्ट में विरोध क्यों?
इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर महाभियोग की मांग की है। एसोसिएशन ने अपनी जनरल बॉडी मीटिंग में 11 प्रस्ताव पारित किए हैं, जिनमें एक प्रमुख मांग यह थी कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ सीबीआई और ईडी से जांच करवाई जाए। बार एसोसिएशन ने यह भी कहा कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की जाए और न्यायिक बिरादरी को किसी भी आंतरिक जांच से बचाया जाए।
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा, “इलाहाबाद हाई कोर्ट किसी भी प्रकार का डंपिंग ग्राउंड नहीं है। यह न्याय का मंदिर है और हम इसे भ्रष्टाचार का अड्डा नहीं बनने देंगे।” इसके अलावा, एसोसिएशन ने यह भी कहा कि अगर जस्टिस वर्मा का तबादला हुआ, तो यह कोर्ट के लिए एक बहुत बड़ी निराशाजनक स्थिति होगी।
जस्टिस वर्मा का पक्ष
जस्टिस यशवंत वर्मा ने इस मामले पर अपनी सफाई देते हुए कहा कि उनके आवास पर मौजूद कर्मचारियों को कोई कैश नहीं दिखाया गया। उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डी के उपाध्याय को दिए अपने जवाब में कहा, “जब आधी रात के करीब आग लगी, तो मेरी बेटी और निजी सचिव ने फायर ब्रिगेड को सूचित किया। आग बुझाने की प्रक्रिया के दौरान, सभी कर्मचारियों को सुरक्षा कारणों से घटनास्थल से दूर किया गया था, और जब वे वापस आए तो वहां कोई भी कैश नहीं था।”
जाँच की स्थिति
दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा जांच का विवरण इस प्रकार है कि जस्टिस वर्मा के मोबाइल फोन नंबर के पिछले छह महीने के कॉल रिकॉर्ड को प्राप्त करने के लिए दिल्ली पुलिस आयुक्त से अनुरोध किया गया था। इसके साथ ही, जस्टिस वर्मा के आवास पर तैनात सुरक्षा कर्मियों और गार्ड्स का विवरण भी दिल्ली पुलिस से मांगा गया है।
क्या आगे बढ़ेगा मामला?
इस पूरे मामले में अब देखना यह है कि क्या सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का फैसला जस्टिस वर्मा के खिलाफ किसी ठोस कदम की ओर बढ़ेगा या फिर मामला वहीं का वहीं रह जाएगा। इलाहाबाद हाई कोर्ट के बार एसोसिएशन का विरोध जारी रहेगा और उनकी हड़ताल इस पूरे विवाद को और ज्यादा गर्म कर सकती है।