आगरा: आज, वर्ल्ड क्लब फुट डे के अवसर पर, अनुष्का फाउंडेशन ने जिला अस्पताल आगरा में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। यह कार्यक्रम क्लब फुट के उपचार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले डॉक्टर पॉन्सिटी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया गया। इस दौरान क्लब फुट से ग्रसित बच्चों के साथ अस्पताल के डॉक्टरों ने केक काटा और बच्चों को डीबी स्प्लिंट (विशेष प्रकार के जूते) प्रदान किए।
क्लब फुट: एक जन्मजात विकृति और उसका उपचार
कार्यक्रम की अध्यक्षता मंडलीय चिकित्सालय आगरा के एसआईसी डॉ. आर. के. अरोड़ा ने की। उन्होंने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए बताया कि क्लब फुट एक जन्मजात विकृति है, जो प्रत्येक 800 से 1000 डिलीवरी में से एक बच्चे में देखने को मिलती है। आगरा में प्रतिमाह लगभग 3 से 4 बच्चे इस समस्या से पीड़ित पैदा होते हैं, जिसमें बच्चों के पैर अंदर की ओर मुड़ जाते हैं। यदि इसका समय पर उपचार न किया जाए, तो ऐसे बच्चे विकलांगता का शिकार हो सकते हैं।
डॉ. अरोड़ा ने बताया कि ऐसे बच्चों का इलाज राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम योजना के तहत आगरा जिला अस्पताल में प्रत्येक शुक्रवार को अनुष्का फाउंडेशन द्वारा विशेष कैंप लगाकर निःशुल्क किया जाता है।
अनुष्का फाउंडेशन का योगदान और उपचार के चरण
अनुष्का फाउंडेशन के कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. राजकुमार राजावत ने जानकारी दी कि अनुष्का फाउंडेशन भारत के 139 जिलों में अपने क्लिनिकों के माध्यम से ऐसे बच्चों को निःशुल्क इलाज उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले 5 सालों में आगरा में लगभग 300 बच्चों को इस बीमारी से निजात दिलाई गई है।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के डीईआईसी मैनेजर श्री रमाकांत शर्मा ने बताया कि जन्मजात विकृति के साथ पैदा होने वाले बच्चों को इस योजना के तहत जिला अस्पताल और सरकार द्वारा अनुबंधित अस्पतालों में निःशुल्क इलाज दिया जा रहा है, जिसमें प्लास्टर, ऑपरेशंस और विशेष प्रकार के डीबी स्प्लिंट आदि की निःशुल्क व्यवस्था शामिल है। उन्होंने लोगों से अधिक से अधिक प्रचार कर लाभ दिलाने का आह्वान किया ताकि आने वाले नौनिहाल स्वस्थ रहें और विकलांगता से बचें।
जिला चिकित्सालय के अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. शशि कुमार ने क्लब फुट के उपचार के तीन चरणों को समझाया:
- पॉप कास्टिंग: पहले चरण में बच्चों को पॉप कास्टिंग की जाती है, जिसमें हर हफ्ते प्लास्टर लगाकर पैरों को धीरे-धीरे सीधा किया जाता है। इसमें आमतौर पर चार से पांच कास्ट की आवश्यकता होती है।
- टिनोटमी: दूसरे चरण में टिनोटमी की जाती है, जो एक बहुत ही छोटी चीरे वाली ऑपरेशन विधि है। इसमें एड़ी के पास एक छोटा चीरा लगाकर बच्चे का पंजा पूरी तरह से चलने लगता है।
- डीबी स्प्लिंट: तीसरे चरण में बच्चों को विशेष प्रकार के जूते और बार दिए जाते हैं, जिन्हें डीबी स्प्लिंट कहा जाता है। ये अनुष्का फाउंडेशन की ओर से बच्चों को निःशुल्क मिलते हैं। बच्चे इन्हें लगातार 3 महीने तक पहनते हैं, जिसके बाद केवल रात में पहनकर सोना होता है, ताकि उनके पंजे दोबारा अंदर की ओर न मुड़ें।
आज के कार्यक्रम के आंकड़े
आज के कार्यक्रम में 17 बच्चों को डीबी स्प्लिंट और विशेष प्रकार के जूते प्रदान किए गए, 8 बच्चों को प्लास्टर किया गया, और इस वर्ष अब तक कुल 74 बच्चों का इलाज किया जा चुका है।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. बी.के. गुप्ता, डॉ. शशि कुमार, डॉ. के. वर्मा, डॉ. अंकित कपूर, डॉ. राजकुमार आदि उपस्थित रहे।