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युवा अधिवक्ता संघ आगरा मण्डल, अधिवक्ता सहयोग समिति, आगरा लॉयर्स एसोसिएशन ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर आयोजित की विचार गोष्ठी

MD Khan
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युवा अधिवक्ता संघ आगरा मण्डल, अधिवक्ता सहयोग समिति, आगरा लॉयर्स एसोसिएशन ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर आयोजित की विचार गोष्ठी

मानवाधिकार कानूनों की जानकारी के प्रचार-प्रसार हेतु बुकलेट का विमोचन एवं वितरण, बांग्लादेश में हो रहे मानवाधिकार हनन को लेकर व्यक्त किया रोष, अंतरराष्ट्रीय परिषद में दर्ज कराई जाएगी याचिका

आगरा: अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर युवा अधिवक्ता संघ आगरा मण्डल, अधिवक्ता सहयोग समिति, और आगरा लॉयर्स एसोसिएशन ने मानवाधिकार कानूनों को आम जनता तक पहुंचाने हेतु एक विचार गोष्ठी आयोजित की। इस मौके पर युवा अधिवक्ता संघ आगरा मण्डल के अध्यक्ष नितिन वर्मा एडवोकेट (मानवाधिकार कानूनों के विशेषज्ञ) के नेतृत्व में दीवानी न्यायालय परिसर में एक बुकलेट का विमोचन किया गया, जिसमें महासचिव मनीष अग्रवाल जॉली एडवोकेट द्वारा मानवाधिकार कानूनों की जानकारी संकलित कर छपवाई गई थी।

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कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता उमेश कुमार वर्मा ने कहा कि मानवाधिकार हनन के मामले दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं, और इसके समाधान के लिए जागरूकता बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी बताया कि मानवाधिकार के उल्लंघन को रोकने के लिए और इसके प्रभावी संरक्षण के लिए समाज में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।

इससे पहले, मण्डल अध्यक्ष नितिन वर्मा एडवोकेट ने बांग्लादेश में हो रहे मानवाधिकार हनन को लेकर अपने गहरे रोष का इज़हार किया। उन्होंने कहा कि यूएनओ (संयुक्त राष्ट्र संगठन) को यूएचआरडी (मानवाधिकार घोषणा) और 1948 में हुए समझौता संधि को निभाना चाहिए। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि आजकल संविधान द्वारा दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों का भी उल्लंघन हो रहा है, जिसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।

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इस विमोचन एवं गोष्ठी में वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश कोहली, सत्येंद्र सिंह, शिशुपाल सिंह, योगेश कुमार, कृपाल सिंह, सिकंदर सहेरा, वीरेंद्र पाल सिंह, देव गौतम, अतुल कर्दम, राजकुमार, और संत कुमार सिंह समेत कई प्रमुख अधिवक्ता मौजूद थे। सभी ने इस महत्वपूर्ण दिन पर अपने विचार रखे और मानवाधिकार के महत्व पर प्रकाश डाला।

अधिवक्ताओं का कहना था कि मानवाधिकार की रक्षा और उसे सशक्त बनाने के लिए हम सबको एकजुट होकर काम करना होगा, ताकि समाज में समानता, स्वतंत्रता और मानवाधिकारों का उल्लंघन न हो।

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