धरने के चौथे दिन, ग्राम प्रधान संगठन के जिलाध्यक्ष के के प्रधान ने कहा कि पूर्व सैनिकों की सभी मांगे न्याय और हक की हैं, और इस लड़ाई में प्रधान संगठन उनके साथ खड़ा है। उन्होंने कहा, “इस तरह का रवैया लोकतंत्र के लिए खतरनाक है, जहां अधिकारियों ने जनता और सैनिकों की आवाज़ को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया है।”
संगठन मंत्री भोज कुमार ने भी इस अवसर पर कहा कि अब देश में अधिकारियों से कोई हक या सलाह लेना गुनाह हो गया है। उन्होंने कहा, “पूर्व सैनिकों की मांगे ऐसी नहीं हैं कि जिलाधिकारी महोदय को उन्हें मानने में कोई दिक्कत हो। अगर कोई बिंदु हो भी, तो उसे बातचीत कर सुलझाया जा सकता है। लेकिन अधिकारियों के अहंकार के कारण, सैनिकों से बातचीत भी नहीं की जा रही है।”
धरने में प्रमुख रूप से संगठन के खंड अध्यक्ष हाकिम प्रधान, जिला संयोजक प्रदीप प्रधान, दुर्गेश प्रधान बाद, जोगेंद्र प्रधान, भवानी चाहर, रामनरेश, अजय चाहर, श्रीराम नौहवार, डी के दास, बाबूलाल सोलंकी और अन्य प्रधान संगठन के पदाधिकारी भी उपस्थित रहे और धरने को समर्थन दिया।
धरने के चौथे दिन पूर्व सैनिकों की भीड़ में महेश चाहर, भोज कुमार फौजी, बच्चू साहब, उष्पाल, रामनरेश, अजय चाहर, वारंट ऑफिसर सुरेंद्र सिंह, पी के चक्रवर्ती, नाहर सिंह चाहर, सुदामा छौंकर समेत कई अन्य पूर्व सैनिक भी मौजूद रहे।
पूर्व सैनिकों का कहना है कि उनकी मांगें पूरी न होने तक धरना जारी रहेगा, और वे इस संघर्ष को किसी भी हालत में छोड़ने का नाम नहीं लेंगे।