दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया को अब तिहाड़ जेल से ही ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की टीम ने गिरफ्तार कर लिया। मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी तब की गई है जब शुक्रवार को यानी एक दिन बाद ही उनकी जमानत पर सुनवाई होनी है। जमानत पर यह सुनवाई सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी के मामले में होनी थी। मतलब अब मनीष सिसोदिया देश की दो-दो एजेंसियों के मुलजिम बन चुके हैं।
हालांकि कानूनी तौर पर अब वे इस वक्त (गुरुवार रात) से ईडी के मुलजिम बन गए हैं। ईडी ने मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी का आदेश बाकायदा कोर्ट से लिया है। ईडी की टीमें कोर्ट से कानूनी कागजात (मनीष सिसोदिया की तिहाड़ जेल से ही गिरफ्तारी) लेकर तिहाड़ जेल पहुंच चुकी हैं। यह कागज तिहाड़ जेल प्रशासन के सामने भी ईडी द्वारा प्रस्तुत किए जा चुके हैं। इन्हीं कानूनी दस्तावेजों के आधार पर ईडी मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर चुकी है।
अगर देखा जाए तो अब मनीष सिसोदिया भारत की दो केंद्रीय जांच एजेंसियों के मुलजिम बन चुके हैं। पहले मुलजिम सीबीआई के। जो उनकी गिरफ्तारी करके रिमांड पूरी होने के बाद उन्हें जेल में दाखिल कर चुकी थी। गुरुवार को दिन भर ईडी ने तिहाड़ जेल परिसर में ही मनीष सिसोदिया से पूछताछ की थी। यह पूछताछ 6 से आठ घंटे तक चली बताई जाती है।
तिहाड़ में मनीष से ईडी ने यूं तो तमाम सवाल पूछे मगर उनमें महत्वपूर्ण था 100 करोड़ की रिश्वत देने संबंधी सवाल। साथ ही विशेषज्ञों से हासिल मशविरे वाली रिपोर्ट को सरकारी रिकॉर्ड से डिलीट क्यों किया गया? अगर उसमें सबकुछ सही था या फिर सरकार कहीं उस रिपोर्ट को लेकर खुद नहीं फंस रही थी? यहां बताना जरूरी है कि ईडी ने मनीष सिसोदिया के खिलाफ चार्जशीट पहले ही दाखिल कर चुकी है।
ईडी ने शराब माफिया से मिलीभगत के मामले में यह चार्जशीट दाखिल की थी। ईडी का मानना है कि अगर मनीष सिसौदिया शराब घोटाले में शामिल नहीं है तो फिर उन्हें 100 करोड़ रुपए के अवैध लेन-देन करने की क्या जरूरत आ पड़ी थी? ईडी की कोशिश होगी कि 100 करोड़ रुपए रिश्वत वाले पैसे वसूल कर उन्हें दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई कराई जा सके।
उधर कहा यह भी जा रहा है कि सीबीआई को जब मनीष सिसोदिया से कुछ ज्यादा या मजबूत हासिल नहीं हुआ तो अब ईडी ने अपने स्तर पर मनीष के ऊपर कानूनी शिकंजा कसने की गरज से उनकी गिरफ्तारी की है।