वाइल्डलाइफ एसओएस, एक प्रमुख गैर-सरकारी संस्था, ने वर्ष 2024 में आगरा और उसके आस-पास के शहरों में लगभग 1,500 जंगली जानवरों को सफलतापूर्वक बचाया। संस्था की यह पहल भारत के वन्यजीवों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है, खासकर शहरीकरण और बढ़ते मानव अतिक्रमण के कारण जंगली जानवरों को उत्पन्न होने वाले खतरों के बीच।
भारत के जंगली जानवरों के लिए बढ़ती चुनौतियाँ
भारत में शहरीकरण की तीव्र गति और सिकुड़ते वन क्षेत्रों के कारण जंगली जानवर अपने प्राकृतिक आवासों से बाहर निकलने के लिए मजबूर हो जाते हैं। इन जानवरों को अक्सर शहरी क्षेत्रों में भटकने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जहाँ उन्हें इंसानी आबादी से कई प्रकार के खतरों का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही, तीव्र गर्मी, ठंड और भारी बारिश जैसी मौसमीय घटनाएँ इस समस्या को और बढ़ा देती हैं। इन जंगली जानवरों को बचाने के लिए वाइल्डलाइफ एसओएस की टीम लगातार काम कर रही है और उनकी हेल्पलाइनों पर आए संकटपूर्ण कॉल्स का समाधान प्रदान कर रही है।
महत्वपूर्ण रेस्क्यू ऑपरेशंस
2024 में, वाइल्डलाइफ एसओएस ने विभिन्न प्रकार के जानवरों को बचाया। सरीसृपों का रेस्क्यू विशेष रूप से उल्लेखनीय था, जिसमें 717 सरीसृपों को बचाया गया, जिनमें 55 किलोग्राम का विशाल अजगर भी शामिल था। इसके अलावा, इटावा से 25 अजगर के बच्चे, आगरा किले से 5 फुट लंबा रैट स्नेक और 9 मगरमच्छ को भी सफलतापूर्वक बचाया गया। अन्य उल्लेखनीय बचावों में 139 कॉमन वुल्फ स्नेक, 156 इंडियन रैट स्नेक, 115 अजगर, 123 कोबरा और 78 मॉनिटर लिज़र्ड शामिल हैं।
स्तनधारी और पक्षियों का रेस्क्यू
सरीसृपों के अलावा, वाइल्डलाइफ एसओएस ने लगभग 500 स्तनधारी जानवरों को भी रेस्क्यू किया, जिनमें बड़ी संख्या में बंदर शामिल थे। अप्रैल 2024 में एक तेंदुए का रिलीज़ भी किया गया, जो लगभग आठ महीने तक वाइल्डलाइफ एसओएस की देखरेख में रहा। इसके अतिरिक्त, संस्था ने 128 मोर सहित 250 से अधिक पक्षियों को भी बचाया।
वाइल्डलाइफ एसओएस की पहल और सहयोग
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “वर्ष 2024 हमारे लिए एक चुनौतीपूर्ण लेकिन यादगार साल था। अप्रत्याशित जलवायु परिस्थितियों और मानवीय गतिविधियों के कारण जंगली जानवरों के लिए बढ़ते खतरों के बावजूद, हमारी समर्पित टीम और स्वयंसेवकों के अथक प्रयासों ने यह संभव किया। हम उत्तर प्रदेश वन विभाग के साथ मिलकर इस कार्य को अंजाम दे रहे हैं।”
सह-संस्थापक गीता शेषमणि ने कहा, “प्रत्येक बचाव हमारे जैव विविधता के संरक्षण की जिम्मेदारी की याद दिलाता है। हम जानवरों को उनके प्राकृतिक आवासों में सुरक्षित वापस भेजने के साथ-साथ उन्हें शहरी क्षेत्रों से सुरक्षित बाहर निकालने का भी काम कर रहे हैं।”
प्राकृतिक आवासों का संरक्षण और जागरूकता
वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी. ने कहा, “हमारे रेस्क्यू ऑपरेशंस हमारी टीम के समर्पण और कठिन परिस्थितियों में काम करने के जुनून को प्रदर्शित करते हैं। हम जानवरों को बचाने के साथ-साथ उनके प्राकृतिक आवासों के संरक्षण और वन्यजीवों के साथ सह-अस्तित्व के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए भी काम कर रहे हैं।”
वाइल्डलाइफ एसओएस की हॉटलाइन सेवा
वाइल्डलाइफ एसओएस की हेल्पलाइनों पर हर दिन सैकड़ों कॉल्स आते हैं, जो जंगली जानवरों के रेस्क्यू के लिए होती हैं। यह हॉटलाइन्स आगरा (+91 9917109666), दिल्ली-एनसीआर (+91-9871963535), वडोदरा (+91-9825011117) और जम्मू-कश्मीर (+91-7006692300, +91-9419778280) में उपलब्ध हैं, जो स्थानीय वन्यजीवों के संकट में सहायता प्रदान करती हैं।
वाइल्डलाइफ एसओएस का काम न केवल जंगली जानवरों के लिए एक आश्रय है, बल्कि यह हमें हमारे प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता के संरक्षण के महत्व को भी समझाता है। वाइल्डलाइफ एसओएस की टीम ने 2024 में अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए भारत के वन्यजीवों को बचाने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं और इस दिशा में उनके कार्यों की सराहना की जाती है।