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ख़तना: सिर्फ एक शब्द नहीं, पूरा इतिहास है

अकबर इलाहाबादी का एक शेर है "जो वक़्त-ए-ख़त्ना मैं चीख़ा तो नाई

Dharmender Singh Malik By Dharmender Singh Malik