बच्चों को ई-बुक से नहीं किताबों से पढ़ाएं

बच्चों को ई-बुक से नहीं किताबों से पढ़ाएं
बच्चों को ई-बुक से नहीं किताबों से पढ़ाएं

लॉकडाउन के दौरान आजकल ऑनलाइन पढ़ाई का दौर शुरु हो गया है पर इसमें भी एक संतुलन रखना जरुरी है। मोबाइल और हाई टेक गैजेट के अधिक इस्तेमाल से बच्चों को कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं। यह सही है कि आजकल तकनीक के दौर में लोगों का काम तो आसन हो गया है, लेकिन रिश्तों में दूरियां आनी शुरू हो गई हैं। पहले जहां माता पिता अपने बच्चों के साथ समय बिताया करते थे, उनको कहानियां सुनाया करते थे, तो वहीं आज तकनीक के इस युग में इन सभी चीजों में तेजी से बदलाव आ रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार जो माता-पिता अपने बच्चों को किताबों की जगह ई-बुक से पढ़ाते हैं, उनका ध्यान बच्चों को पढ़ाने से ज्यादा तकनीक के बारे में चर्चा करने में रहता हैं।


अध्ययन के दौरान 37 अभिभावकों के साथ उनके बच्चों को भी शामिल किया गया। इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने तीन पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया- प्रिंट बुक, इलेक्ट्रॉनिक बुक और एडवांस इलेक्ट्रॉनिक बुक, जिसमें साउंड के साथ एनिमेशन भी था।


इसमें सामने आया कि जो माता-पिता बच्चों को ई-बुक के माध्यम से पढ़ाते हैं, उनका ध्यान बच्चों की पढ़ाई में कम और तकनीक में ज्यादा होता है। यही कारण है कि बच्चे पढ़ाई में ज्यादा ध्यान नहीं लगा पाते हैं और अभिभावक भी उतने प्रभावशाली तरीके से उन्हें पढ़ाने में असफल रहते हैं।


बच्चों से बात करने और उन्हें पढ़ाने से बच्चों में लैंग्वेज स्किल्स विकसित होते हैं। साथ ही बच्चों की अपने अभिभावकों के साथ बॉन्डिंग भी मजबूत होती है। किताबों से पढ़ते समय बच्चों को जो अनुभव मिलते हैं, उन्हें वो लंबे समय तक याद रहते हैं। इसके अलावा बच्चों का दिमाग भी बेहतर ढंग से विकसित हो पाता है, जिस कारण वो नई चीजें जल्दी और आसानी से सीख पाते हैं।

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