नई दिल्ली । कहा जाता है कि ‘बात निकलेगी तो वहीं तक नहीं रुकी रहेगी। तबलीगी जमात और इसके निजामुद्दीन मरकज की करतूतों के कारण दूर-दूर तक कोरोना का संक्रमण फैलने लगा, तो प्रशासन ने भी शिकंजा कसना शुरु कर दिया है। दिल्ली पुलिस ने अब मरकज के मौलाना साद कंधालवी समेत तबलीगी जमात की कोर कमेटी के सात सदस्यों को नोटिस जारी किया है। इन सातों की तलाश में जुटी पुलिस टीम से कहा गया है कि वे छानबीन के दौरान किसी भी अहाते में घुसने से पहले एहतियात बरतें क्योंकि संभव है कि ये सातों भी कोविड-19 से पीड़ित हों। पुलिस ने उनसे आलमी मरकज और इसके निजामुद्दीन स्थित मुख्यालयों की फंडिंग के स्रोत की जानकारी मांगी है।
जमात ने पिछले तीन सालों में कितना टैक्स भरा है, उसके बैंक खातों में कहां-कहां से कितने पैसे आए हैं, इन सब डिटेल्स के साथ पैन भी मांगा गया है। मरकज के प्रमुख मौलाना साद और छह अन्य सदस्यों से उन विदेशियों और भारतीय जमातियों की लिस्ट भी मांगी गई है जिन्होंने 11 से 13 मार्च के दौरान आयोजित ‘जोड़’ कार्यक्रम में शिरकत की थी।
मरकज के सदस्यों से पूछा गया है कि क्या उन्होंने इतने बड़े आयोजन के लिए प्रशासन की अनुमति ली थी, क्या उन्हें इसकी लिखित अनुमति दी गई थी और क्या आलमी मरकज ने प्रशासन से किसी और मामले में संपर्क किया था? उन्हें कमेटी मेंबर्स और मरकज के कर्मचारियों की लिस्ट भी पुलिस को सौंपनी होगी। पुलिस ने मरकज से कहा कि वह 1 जनवरी से 1 अप्रैल तक वहां हुए सारे आयोजनों में शामिल लोगों की संख्या, नक्शा या साइट प्लान और परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों की संख्या बताए।
इसके साथ ही, 12 मार्च के बाद जिन लोगों ने कार्यक्रमों में हिस्सा लिया, उनके ऑडियो या वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ-साथ ओरिजनल रजिस्टर भी मांगा गया है, जिसमें बाहर से आए लोगों के डिटेल्स दर्ज किए गए। मरकज को इस दौरान पार्किंग की देखरेख करने वालों और वॉलंटियरों की जानकारी भी पुलिस को देनी होगी। मौलाना साद और उनकी कोर कमिटी के सदस्यों को यह भी बताना होगा कि क्या कोई श्रद्धालु कार्यक्रम के दौरान वहां बीमार भी पड़ा था और आलमी मरकज ने लोगों को निकालने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए थे, खासकर देशव्यापी लॉकडाउन घोषित होने के बाद। 12 मार्च के बाद मरकज के जिन लोगों को अस्पताल ले जाया गया, उनका विवरण भी मांगा गया है।