क्या आप जानते हैं कि हमारे हिन्दू रीति-रिवाजों में गहरा वैज्ञानिक आधार छुपा है?

Manisha singh
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हिन्दू अनुष्ठानों के पीछे का विज्ञान

साधारण से तिलक से लेकर मंगलसूत्र तक, हर चीज़ में है सेहत का खजाना! हिन्दू धर्म में अनुष्ठानों का एक महत्वपूर्ण स्थान है, जो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं बल्कि इनके पीछे छिपे वैज्ञानिक लाभ भी हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। आइये जानते हैं कुछ दिलचस्प तथ्य-

१- सिन्दूर- बता दें कि हिंदू धर्म में सिंदूर को ‘सौभाग्य’ का प्रतीक माना जाता है। मान्यता यह भी है की सुहागिन महिलाओं द्वारा मांग में सिंदूर भरने से पति की आयु लंबी होती है और स्त्री को सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सिंदूर लगाने का चलन प्राचीन काल से चला रहा है और इसका संबंध माता पार्वती व देवी सीता से भी जुड़ता है। लाभ: रोजाना सिंदूर लगाने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है साथ ही इससे दिमाग भी शांत रहता है. ऐसा बताया जाता है कि सिंदूर लगाने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है. सिंदूर बनाने में जिस धातु का इस्तेमाल किया जाता है उससे चेहरे पर झुर्रियों के निशान कम होते हैं. सिन्दूर को मांग में लगाने से दिमाग की नसों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और शांति का अनुभव होता है।

२-कलावा (रक्षा सूत्र)- कलावा, जिसे मौली भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में एक पवित्र धागा होता है जिसे हाथ पर बांधा जाता है। लाभ: दबाव बिंदु (Acupressure Points): कलाई पर कलावा बांधने से वहाँ स्थित विशेष दबाव बिंदुओं पर प्रभाव पड़ता है, जिससे रक्त प्रवाह में सुधार होता है और तनाव कम होता है। यह विधि प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों में भी उपयोग की जाती रही है। प्रतिरोधक क्षमता (Immunity): कलावा में प्रयुक्त धागों के रंग (लाल, पीला, सफेद) का मानसिक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।

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३-बिंदी तथा तिलक- बिंदी सिर्फ सजावट नहीं है। ये आपके माथे के बीच वाले पॉइंट को दबाकर ध्यान बढ़ाती है और दिमाग को शांत करती है। साथ ही, चंदन की ठंडक तनाव कम करती है। तिलक माथे पर लगाया जाता है और यह विभिन्न प्रकार का हो सकता है जैसे चंदन, रोली, या कुमकुम। लाभ: आज्ञा चक्र (Ajna Chakra): तिलक लगाने से माथे के बीच के आज्ञा चक्र पर दबाव पड़ता है, जो मानसिक शांति और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। यह चक्र मानसिक ऊर्जा को जागृत करता है और आत्म-चेतना को बढ़ाता है। शीतलता: चंदन का तिलक माथे को शीतलता प्रदान करता है, जो तनाव और थकान को कम करने में सहायक होता है। चंदन के शीतल गुण मानसिक शांति और स्थिरता लाते हैं।

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४- चूड़ियाँ- विवाहित महिलाएं अपने हाथों में चूड़ियाँ पहनती हैं, जो विभिन्न धातुओं और रंगों की हो सकती हैं। लाभ: रक्त संचार (Blood Circulation): चूड़ियाँ पहनने से कलाई और बाहों में रक्त संचार बेहतर होता है, जिससे हाथों की मांसपेशियों को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषण मिलता है। हॉर्मोनल संतुलन: चूड़ियों की खनक से शरीर में हॉर्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है, जिससे संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार होता है।

५- मंगलसूत्र- मंगलसूत्र विवाहित महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला एक महत्वपूर्ण आभूषण है, जो काले मोतियों और सोने के धागे से बना होता है। लाभ: प्रजनन प्रणाली: मंगलसूत्र पहनने से गले के पास की नसों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो प्रजनन प्रणाली को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक होता है। तंत्रिका तंत्र (Nervous System): काले मोती विद्युत चुम्बकीय प्रभाव को संतुलित करने में मदद करते हैं, जिससे तंत्रिका तंत्र को शांति मिलती है और मानसिक संतुलन बना रहता है।

६-बिछिया तथा पायल-  बिछिया विवाहित महिलाओं द्वारा पैरों की उंगलियों में पहना जाने वाला एक आभूषण है। लाभ: पॉजिटिव एनर्जी के लिए चांदी की पायल पैर में पहनने से शरीर से सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और साथ ही सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता रहता है। पैरों में सूजन की समस्या के लिए जिन महिलाओं के पैरों में सूजन की समस्या रहती है, उनके लिए चांदी की पायल बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है। क्योंकि इसे पहनने से ब्‍लड सर्कुलेशन ठीक रहता है और इससे पैरों में होने वाली सूजन से आराम मिलता है। नसों पर दबाव: पैरों की उंगलियों में बिछिया पहनने से नसों पर उचित दबाव पड़ता है, जिससे गर्भाशय और प्रजनन अंगों को मजबूती मिलती है। यह प्रजनन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स: चांदी की बिछिया पहनने से शरीर में विद्युत धारा को नियंत्रित करने में मदद मिलती है, जिससे शरीर की ऊर्जा का संतुलन बना रहता है और स्वास्थ्य को लाभ मिलता है।

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इन हिन्दू अनुष्ठानों के धार्मिक महत्व के साथ-साथ इनके वैज्ञानिक लाभ भी महत्वपूर्ण हैं, जो व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक होते हैं। यह अद्वितीय परंपराएँ हमारी संस्कृति की धरोहर हैं, जो हमें संतुलित और स्वस्थ जीवन जीने की राह दिखाती हैं।

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Manisha Singh is a freelancer, content writer,Yoga Practitioner, part time working with AgraBharat.
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