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पितृपक्ष: क्या करें, क्या न करें, सम्पूर्ण जानकारी

Honey Chahar
4 Min Read

पितृपक्ष हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अवधि है, जिसमें लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक याद करते हैं और उनके लिए तर्पण और पिंडदान करते हैं। यह अवधि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष से प्रारंभ होकर अमावस्या तक के 16 दिनों की होती है।

पितृपक्ष में लोग अपने पूर्वजों के लिए भोजन, जल, फल, फूल, धूप-दीप, आदि अर्पित करते हैं। वे अपने पूर्वजों को याद करते हुए उनसे आशीर्वाद मांगते हैं।

पितृपक्ष का महत्व

पितृपक्ष का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस अवधि में पितृ अपने परिवार के पास आते हैं और उनके आशीर्वाद देते हैं। पितृपक्ष में उनके लिए तर्पण और पिंडदान करने से उनके आत्मा को शांति मिलती है और वे मोक्ष प्राप्त करते हैं।

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पितृपक्ष में क्या करें

पितृपक्ष में निम्नलिखित कार्य करने चाहिए:

  • अपने पूर्वजों को याद करें और उनसे आशीर्वाद मांगें।
  • उनके लिए भोजन, जल, फल, फूल, धूप-दीप, आदि अर्पित करें।
  • उनके लिए तर्पण और पिंडदान करें।
  • दान-पुण्य करें।
  • सत्य, अहिंसा, और सदाचार के मार्ग पर चलें।

पितृपक्ष में क्या न करें

पितृपक्ष में निम्नलिखित कार्य नहीं करने चाहिए:

  • मांस, मदिरा, अंडा, आदि का सेवन करें।
  • चिताभस्म धारण करें।
  • कटहल, उड़द, आदि का सेवन करें।
  • स्त्री के साथ शारीरिक संबंध बनाएं।
  • झूठ बोलें।
  • दूसरों को नुकसान पहुंचाएं।

पितृपक्ष की कुछ महत्वपूर्ण तिथियां

  • प्रतिपदा: इस दिन पितृपक्ष की शुरुआत होती है।
  • द्वितीया: इस दिन पितृपक्ष का दूसरा दिन होता है।
  • तृतीया: इस दिन पितृपक्ष का तीसरा दिन होता है।
  • चतुर्थी: इस दिन पितृपक्ष का चौथा दिन होता है।
  • पंचमी: इस दिन पितृपक्ष का पांचवां दिन होता है।
  • षष्ठी: इस दिन पितृपक्ष का छठा दिन होता है।
  • सप्तमी: इस दिन पितृपक्ष का सातवां दिन होता है।
  • अष्टमी: इस दिन पितृपक्ष का आठवां दिन होता है।
  • नवमी: इस दिन पितृपक्ष का नौवां दिन होता है।
  • दशमी: इस दिन पितृपक्ष का दसवां दिन होता है।
  • एकादशी: इस दिन पितृपक्ष का ग्यारहवां दिन होता है।
  • द्वादशी: इस दिन पितृपक्ष का बारहवां दिन होता है।
  • त्रयोदशी: इस दिन पितृपक्ष का तेरहवां दिन होता है।
  • चतुर्दशी: इस दिन पितृपक्ष का चौदहवां दिन होता है।
  • पूर्णिमा: इस दिन पितृपक्ष समाप्त होता है।

पितृपक्ष में तर्पण और पिंडदान कैसे करें

पितृपक्ष में तर्पण और पिंडदान करने से पितरों को शांति मिलती है और वे मोक्ष प्राप्त करते हैं। तर्पण और पिंडदान करने की विधि निम्नलिखित है:

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तर्पण

तर्पण करने के लिए, एक थाली में जल, गाय का दूध, शहद, दही, और चावल मिलाएं। फिर, अपने पितरों को याद करते हुए, इस मिश्रण को पूर्व दिशा में अर्पित करें।

पिंडदान

पिंडदान करने के लिए, एक थाली में चावल, तिल, और गुड़ मिलाएं। फिर, अपने पितरों को याद करते हुए, इस मिश्रण को जल में डाल दें।

पितृपक्ष के दौरान कुछ महत्वपूर्ण बातें

  • पितृपक्ष के दौरान, अपने पूर्वजों को याद करते हुए, उन्हें श्रद्धापूर्वक तर्पण और पिंडदान करें।
  • पितृपक्ष के दौरान, मांस, मदिरा, अंडा, कटहल, उड़द, आदि का सेवन न करें।
  • पितृपक्ष के दौरान, चिताभस्म धारण न करें।
  • पितृपक्ष के दौरान, स्त्री के साथ शारीरिक संबंध न बनाएं।
  • पितृपक्ष के दौरान, झूठ बोलें।
  • पितृपक्ष के दौरान, दूसरों को नुकसान न पहुंचाएं।
    
    
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