राणा सांगा जयंती समारोह से जुड़ेंगे राजा भैया; जनसत्ता दल ने दिखाई ताकत, आगरा के गढ़ी रामी गांव में जुटेंगे समर्थक

BRAJESH KUMAR GAUTAM
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आगरा। उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपने अलग अंदाज़ और जनाधार के लिए पहचाने जाने वाले कुंडा विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री रघुराज प्रताप सिंह ‘राजा भैया’ अब राणा सांगा जयंती समारोह से जुड़ते नज़र आ रहे हैं। यह आयोजन 12 अप्रैल को आगरा के एत्मादपुर क्षेत्र स्थित गढ़ी रामी गांव में बड़े पैमाने पर होने जा रहा है, और अब इसमें जनसत्ता दल के कार्यकर्ता और पदाधिकारी भी भाग लेंगे।

🔹 जनसत्ता दल को दी गई सख्त हिदायत: भारी संख्या में जुटें समर्थक

राजा भैया ने इस जयंती समारोह को “गौरवशाली परंपरा और इतिहास का प्रतीक” बताते हुए अपनी पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के सभी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से इस कार्यक्रम में शामिल होने की अपील की है।

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यह संदेश उत्तर प्रदेश विधान परिषद में जनसत्ता विधायक दल के नेता और पूर्व सांसद कुंवर अक्षय प्रताप सिंह ‘गोपाल जी’ द्वारा जारी किया गया। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा:

“महाराणा सांगा जैसे महान योद्धा की जयंती में सम्मिलित होकर हम सभी को न केवल उनकी वीरता को स्मरण करना चाहिए, बल्कि समाज को एकता और सम्मान का संदेश भी देना चाहिए।”

🔹 क्या खुद शामिल होंगे राजा भैया? उठ रहे सवाल

जहां एक ओर यह स्पष्ट नहीं है कि राजा भैया या गोपाल जी खुद इस समारोह में शिरकत करेंगे या नहीं, वहीं दूसरी ओर पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है कि राजा भैया के आगमन की संभावना बहुत प्रबल है।

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अगर वह इस कार्यक्रम में शामिल होते हैं तो यह न केवल क्षेत्र में जनसत्ता दल की उपस्थिति को मज़बूत करेगा, बल्कि राजा भैया की सामाजिक पकड़ को भी दर्शाएगा।

🔹 राणा सांगा की विरासत को लेकर बढ़ी राजनीतिक सक्रियता

महाराणा सांगा, जिन्हें मेवाड़ के वीर योद्धा के रूप में जाना जाता है, राजपूत गौरव और स्वाभिमान के प्रतीक हैं। ऐसे में उनकी जयंती को लेकर कई राजनीतिक दलों की सक्रियता स्वाभाविक भी है और रणनीतिक भी।
राजा भैया जैसे प्रभावशाली नेता का इससे जुड़ना, ना केवल राजपूत समाज में उनकी स्वीकार्यता को और पुख्ता करता है, बल्कि आगामी चुनावी गणित के लिहाज से भी यह काफ़ी अहम माना जा रहा है।

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🔹 स्थानीय स्तर पर भी तैयारी जोरों पर

गढ़ी रामी गांव में इस समारोह के आयोजन को लेकर तैयारियाँ अपने चरम पर हैं। आयोजकों के अनुसार, हजारों लोगों के जुटने की संभावना है, जिनमें विभिन्न संगठनों और राजपूत समाज के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

स्थानीय प्रशासन भी इस बड़े आयोजन को देखते हुए सुरक्षा और यातायात प्रबंधन की तैयारियों में जुटा है।

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