कश्मीर में नवविवाहित हिंदू जोड़े पर आतंकी हमला, हनीमून बना मातम

Dharmender Singh Malik
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श्रीनगर/आगरा। स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में हाल ही में शादी के बंधन में बंधे एक हिंदू जोड़े का हनीमून उस समय मातम में बदल गया, जब आतंकवादियों ने उनकी पहचान पूछकर निर्मम हत्या कर दी। यह सनसनीखेज घटना कश्मीर में छिपे आतंकवाद के स्याह चेहरे को उजागर करती है और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

पीड़ित नवविवाहित जोड़ा, जिसके सपने अभी उड़ान भरने ही वाले थे, कश्मीर की खूबसूरत वादियों में अपने नए जीवन की शुरुआत करने गया था। लेकिन उनकी खुशियों को आतंकवाद की काली छाया ने पल भर में लील लिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, आतंकवादियों ने दंपति से उनका नाम पूछा और जैसे ही उन्हें पता चला कि वे हिंदू हैं, उन्होंने बेरहमी से गोलियां बरसा दीं।

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इस जघन्य हत्याकांड ने इंसानियत और मोहब्बत दोनों को शर्मसार कर दिया है। हत्यारों ने न तो मानवीय मूल्यों का सम्मान किया और न ही नवविवाहित जोड़े के प्रति कोई संवेदना दिखाई। उनके लिए सिर्फ इतना मायने रखता था कि पीड़ित हिंदू थे।

यह घटना कश्मीर की मनमोहक सुंदरता के पीछे छिपे उस ज़हर को दर्शाती है, जो अब और छिप नहीं सकता। यह संघर्ष अब केवल भौगोलिक नहीं, बल्कि सच्चाई और अस्तित्व का है। जो लोग आज इस अत्याचार पर चुप्पी साधे हुए हैं, वे कल खुद भी इसका शिकार हो सकते हैं।

यह समझना होगा कि धर्म से मुंह मोड़ने या अपनी पहचान छुपाने से मौत का सामना टाला नहीं जा सकता। आतंकवाद अपनी नफरत भरी विचारधारा के आधार पर चुन-चुनकर निर्दोषों को निशाना बना रहा है। अगर अब भी आंखें नहीं खुलीं, तो हर गुजरते दिन के साथ ‘शहीद हिंदुओं’ की सूची लंबी होती जाएगी।

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हालांकि, यह विडंबना ही है कि इस भयावह सच्चाई को तथाकथित वामपंथी और सेक्युलर हिंदू तब तक नहीं समझ पाएंगे, जब तक कि वे स्वयं इस आतंकवाद की आग में नहीं झुलस जाते। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है और कश्मीर में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को इस मामले में त्वरित और कठोर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि दोषियों को सजा मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। कश्मीर की धरती को आतंकवाद के नापाक साये से मुक्त कराना अब वक्त की मांग है।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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