एटा। पुलिस भर्ती में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले की परतें अब खुलनी शुरू हो गई हैं। गिरफ्तार डॉक्टर अनुभव अग्रवाल और राहुल वार्ष्णेय की फोन कॉल रिकॉर्डिंग और सुमित्रा डायग्नोस्टिक सेंटर के सीसीटीवी फुटेज से कई नए चेहरे उजागर हो सकते हैं। जांच अधिकारियों N के मुताबिक इस खेल में डॉक्टर ही नहीं, कई और लोग शामिल हो सकते हैं।
सूत्रों की मानें तो डॉक्टरों की बातचीत में कुछ ऐसे नाम सामने आए हैं जो भर्ती प्रक्रिया से सीधे या परोक्ष रूप से जुड़े हैं। ये वही लोग हैं जो अभ्यर्थियों को पहले ही संपर्क कर अनफिट करने की धमकी देते थे और मोटी रकम वसूलते थे। इस खुलासे से भर्ती प्रक्रिया में व्याप्त भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें सामने आने की संभावना है।
डायग्नोस्टिक सेंटर की डी वी आर से मिल सकता है अहम सुराग
सुमित्रा डायग्नोस्टिक सेंटर में लगी कैमरों की रिकॉर्डिंग इस पूरे मामले में एक महत्वपूर्ण सबूत साबित हो सकती है। फुटेज में रोजाना कई अभ्यर्थियों की आवाजाही, पैसे का लेनदेन और संदिग्ध गतिविधियां कैद हुई हैं। जांच टीमें अब फुटेज को फ्रेम-दर-फ्रेम खंगाल रही हैं ताकि हर संदिग्ध गतिविधि और चेहरे को पहचाना जा सके। माना जा रहा है कि इस डीवीआर से कई ऐसे लोगों की पहचान हो सकती है जो इस संगठित अपराध में शामिल थे।
कितने अभ्यर्थी फंसे, अब यही तलाश जारी
जांच में अब तक कई अभ्यर्थियों के नाम सामने आए हैं, जिन्हें इस गिरोह ने अपना शिकार बनाया। चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ अभ्यर्थियों से एक से डेढ़ लाख रुपये तक की वसूली की गई। पुलिस अब उन सभी पीड़ितों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है ताकि पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश किया जा सके और यह पता लगाया जा सके कि इस घोटाले में कितने अभ्यर्थियों का भविष्य दांव पर लगा है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस पूरे गोरखधंधे में सिर्फ डॉक्टर ही दोषी हैं या सिस्टम में कहीं और भी सड़न है? युवाओं का भविष्य दांव पर है और वे सालों की मेहनत के बाद इंसाफ की चौखट पर न्याय की बाट जोह रहे हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि योगी सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ आक्रामक तेवरों को जिला प्रशासन जमीनी स्तर पर किस दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ दिखाता है और युवाओं को न्याय दिलाता है। इस भर्ती घोटाले का खुलासा न केवल दोषियों को सजा दिलाएगा बल्कि भविष्य में होने वाली ऐसी घटनाओं पर भी लगाम लगाएगा।