एटा: एक तरफ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अवैध स्लॉटर हाउस (कट्टीघरों) के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करती है, तो दूसरी ओर एटा जनपद में इसी आदेश को खुलेआम धता बताया जा रहा है। कोतवाली नगर क्षेत्र के होली मोहल्ला, किदवई नगर, मारहरा दरवाजा और इस्लाम नगर जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में अवैध कट्टीघरों का संचालन पूरी निर्भीकता से किया जा रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह सब कुछ प्रशासन और पुलिस की नाक के नीचे ही नहीं, बल्कि कथित तौर पर उनकी छत्रछाया में हो रहा है।
कानून की धज्जियां, लेकिन ‘महीनेदारी’ में सब ‘ठीक’
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इन अवैध कट्टीघरों से हर महीने मोटी रकम की उगाही की जाती है। बताया जा रहा है कि प्रत्येक कट्टीघर से ₹10,000 से ₹15,000 तक की ‘महीनेदारी’ तय है, जो सीधे तौर पर कोतवाली नगर और अन्य संबंधित अधिकारियों की जेब तक पहुँचती है। यह वसूली नेटवर्क खुलेआम कानून की धज्जियां उड़ा रहा है, लेकिन ‘महीनेदारी’ मिलने से सब कुछ ‘ठीक’ चल रहा है।
जिले में एक भी वैध स्लॉटर हाउस नहीं, फिर भी मांस की धड़ल्ले से आपूर्ति
यह एक बड़ा और गंभीर सवाल है कि जब एटा जिले में एक भी अधिकृत या वैध स्लॉटर हाउस नहीं है, तो फिर प्रतिदिन क्विंटलों मांस की आपूर्ति कहां से और कैसे हो रही है? क्या जिला प्रशासन और नगर पालिका की आँखें बंद हैं, या फिर मिलीभगत की चादर में सब कुछ ढंका हुआ है? यह स्थिति सीधे तौर पर सरकारी नियमों और जन स्वास्थ्य की अनदेखी को दर्शाती है।
जनता की सेहत से खिलवाड़, कौन जिम्मेदार?
इन अवैध कट्टीघरों में साफ-सफाई और मानकों की स्थिति बेहद दयनीय है। बिना किसी पशु चिकित्सा जांच के, अस्वच्छ वातावरण में मांस की बिक्री से आमजन की सेहत से गंभीर खिलवाड़ हो रहा है। बीमारियों का खतरा लगातार बढ़ रहा है, लेकिन इस पर रोक लगाने वाला कोई नहीं दिख रहा।
अब जनता और विभिन्न सामाजिक संगठनों की ओर से यह मांग उठने लगी है कि इस पूरे ‘महीनेदारी’ नेटवर्क में शामिल सभी अफसरों और पुलिसकर्मियों की भूमिका की गहन जांच की जाए और उन पर कठोर कार्रवाई की जाए। यह आवश्यक है कि जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाए ताकि जनता के स्वास्थ्य और कानून के शासन को सुनिश्चित किया जा सके।