दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित कांग्रेस ओबीसी विभाग के ‘भागीदारी न्याय सम्मेलन’ ने एक नया अध्याय लिख दिया. यह पहला अवसर था जब देश भर से ओबीसी वर्ग के बुद्धिजीवी, कार्यकर्ता और नेता इतनी बड़ी संख्या में एक मंच पर एकत्रित हुए. सम्मेलन का सबसे बड़ा आकर्षण लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का बेबाक और ऐतिहासिक भाषण रहा, जहाँ उन्होंने खुलकर ओबीसी वर्ग के लोगों और कार्यकर्ताओं के सामने अपनी बात रखी.
राहुल गांधी का बेबाक अंदाज़: “मोदी में कोई दम नहीं!”
राहुल गांधी ने मंच से सीधे कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोई टेंशन नहीं हैं, मोदी में कोई दम नहीं है, मीडिया की वजह से मोदी की हवा बनी हुई है!” राहुल गांधी को पहली बार कांग्रेस के किसी आयोजन में इतना सहज और प्रसन्न देखा गया, जो उनके आत्मविश्वास को दर्शाता है.
दलित, ओबीसी, आदिवासी और अल्पसंख्यक वर्ग को न्याय दिलाने की सामूहिक प्रतिज्ञा
मंच पर उपस्थित कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं ने एक स्वर में यह घोषणा की कि दलित, ओबीसी, आदिवासी और अल्पसंख्यक वर्ग को न्याय दिलाने के लिए लड़ रहे राहुल गांधी अकेले नहीं हैं. उन्होंने संकल्प लिया कि वे भी न्याय की इस लड़ाई में राहुल गांधी के साथ मजबूती से खड़े रहेंगे. यह एक महत्वपूर्ण क्षण था, क्योंकि अक्सर देखा जाता है कि भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों को लेकर संसद से लेकर सड़क तक केवल राहुल गांधी ही मुखर होते हैं, और कांग्रेस का अन्य कोई बड़ा नेता उनके साथ खड़ा नजर नहीं आता. लेकिन इस सम्मेलन में कांग्रेस के ओबीसी नेताओं ने मंच से राहुल गांधी के साथ खड़े होने की शपथ ली.
कांग्रेस की ओबीसी भागीदारी: एक नया दृष्टिकोण
‘भागीदारी न्याय सम्मेलन’ में पहली बार देश के ओबीसी वर्ग के लोगों को यह भी पता चला होगा कि कांग्रेस ओबीसी वर्ग को सत्ता और संगठन में कब से और कितनी भागीदारी देती आ रही है. जब ओबीसी वर्ग के उपस्थित लोगों ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, जी. स्वामी और बी.के. हरिप्रसाद, तथा सचिन पायलट जैसे नेताओं को मंच पर देखा, तो यह स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस ओबीसी नेताओं को महत्वपूर्ण पदों पर रखती रही है. इनमें से सिद्धारमैया, अशोक गहलोत, भूपेश बघेल और जी. स्वामी ऐसे नेता हैं जो मुख्यमंत्री रहे हैं या वर्तमान में मुख्यमंत्री हैं.
राहुल गांधी ने मंच से इन बड़े ओबीसी नेताओं को कांग्रेस कार्यकर्ताओं का ‘आइकॉन’ बताते हुए कहा कि “यह आपके लिए आइकॉन हो सकते हैं, मगर अब केवल इनसे काम नहीं चलेगा, हमें कांग्रेस के भीतर 40-50 और ताकतवर नेता तैयार करने होंगे.” राहुल गांधी का यह बयान कांग्रेस में नई लीडरशिप तैयार करने के उनके प्रयासों का एक बड़ा इशारा माना जा रहा है. क्या यह ओबीसी वर्ग के 40 से 50 मजबूत नेता तैयार करने का संकेत था?
राहुल गांधी ने भले ही मोदी को कोई टेंशन न बताया हो, लेकिन सिद्धारमैया, अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, जी. स्वामी और सचिन पायलट जैसे पांच बड़े ओबीसी नेताओं की उपस्थिति में उनका यह कहना कि “यह नेता आपके लिए आइकॉन हो सकते हैं लेकिन हमें 40 से 50 मजबूत नेता तैयार करने हैं”, राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी के इस बयान के बाद इन ‘आइकॉन’ नेताओं में शायद थोड़ी ‘टेंशन’ आ गई होगी.
गुरदीप सिंह सप्पल: कांग्रेस के नए रणनीतिकार?
देश के राजनीतिक गलियारों में कांग्रेस ओबीसी विभाग के इस सम्मेलन को लेकर खासी चर्चा है कि इतनी बड़ी भीड़ ओबीसी वर्ग के नेताओं, कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवी वर्ग की पहले कभी नहीं देखी गई. यह पहली बार था जब कांग्रेस के किसी आयोजन में ओबीसी वर्ग के लोग इतनी बड़ी संख्या में उपस्थित हुए. इस आयोजन का ‘मास्टरमाइंड’ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के सलाहकार गुरदीप सिंह सप्पल को बताया जा रहा है, जिन्हें कांग्रेस के भीतर एक बेहतरीन रणनीतिकार के रूप में देखा जा रहा है. गुरदीप सिंह सप्पल ने कुछ दिन पहले ही वोटर लिस्ट में गड़बड़ी को रोकने के लिए उत्तराखंड से कांग्रेस के भीतर ‘मेरा वोट मेरा अधिकार’ अभियान चलाया था.
कांग्रेस के भीतर लंबे समय बाद गुरदीप सिंह सप्पल जैसे मजबूत और ताकतवर रणनीतिकार नजर आ रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि राहुल गांधी के पास कुंडली मारकर बैठे कुछ ‘नौसिखिया रणनीतिकार’ सप्पल की सटीक और लाभकारी रणनीतियों को सफल होने देंगे? यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस में नई ऊर्जा और रणनीतिकार कितने प्रभावी साबित होते हैं.

(लेखक-: सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी आफ कर्नाटक के फर्स्ट कोर्ट मेम्बर रहे हैं)
