धराली की घटना कहीं प्रकृति से खिलवाड़ तो नहीं, विनाश या विकास सब मानव हाथ

Dharmender Singh Malik
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धराली की बादल फटने की घटना ने पूरे विश्व को हिला देने के साथ यह सोचने पर मजबूर कर दिया है इस तरह की घटना को हम जानते बुझते हुए बराबर पर्यावरण को नुकसान पहुंचते हुए विकास की राह पर क्यों चल रहे हैं।इस तरह की अप्राकृतिक घंटना विश्व में बढ़ती जा रही हैं।

आगरा से ले विश्व सबक

एक तरफ उत्तर प्रदेश का शहर आगरा है जो पर्यावरण के नाम पर उद्योग धंधों और युवाओं के पलायन का सन 90 से दंश आज तक झेल रहा है‌ आगरा के नागरिक और उद्योग धंधे सुप्रीम कोर्ट, प्रशासन, शासन, टीटीजे, एनजीटी, केंद्र और राज्य प्रदुषण विभाग के भंवर जाल में फंसकर दिन प्रतिदिन बर्बाद होता जा रहा है जबकि तमाम संस्थाओं ने यह प्रमाणित किया है कि उद्योग धंधों में या पर्यावरण का जितना ध्यान आगरा क्षेत्र के लोग रख रहे हैं उससे ताजमहल को कोई खतरा इन 30 सालों में नहीं हुआ है। बल्कि और सफेद चमकदार हो गया है।यमुना नदी के पानी के तट पर इस ताजमहल को बनाकर इसको हमेशा मजबूती के साथ सुंदरता प्रदान करनी थी ।वह यमुना जी अपनी दुर्दशा पर न केवल खुद रो रही है बल्कि शिलान्यासों और योजनाओं की एक लिस्ट तैयार हो गई है जो आता है वही शासक अपने तरीके से यमुना में क्रूज तक चला देने की बात करता है पर गंगाजल आ गया ,जमुना में जल कब आयगा यह शायद ईश्वर को भी नहीं मालूम ।

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उत्तराखंड में जिस तेजी से हम विकास और पर्यटन नगरी बना रहे हैं उद्योग धंधे लग रहे हैं वह दिन दूर नहीं जब हम उत्तराखंड की प्राकृतिक सौंदर्य को खो दें और आगरा जैसी दुर्दशा हो ।यही हाल धार्मिक नगरियों के भगवत हवा और भक्ति पलीता लगा कर पर्यटन स्थल पर्यावरण बिगड़ रहा है ।एक बार फिर से पर्यावरण प्रेमियों को सभी कार्यदायी संस्थाओं को चाहे वह एनजीटी हो या उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन विभाग हो या सेंट्रल पॉल्यूशन विभाग और उत्तराखंड को सिस्टम से विकास करना होगा ।उन्हें प्लास्टिक को गंदगी को पेड़ लगाने कितने एरिया में कितना विकास हो जिससे प्राकृतिक नुकसान ना हो ।

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नियम और प्राधिकरण आदेश के बाद भी नहीं है विभाग सजग

यमुना में बरसात से पहले कीचड़ को हटाने का प्रयास करना चाहिए ना ही पोखर, तालाब, बावड़ी और कुआ और नदी में जल रोकने का काम। अभी तुरंत में ही दुर्गा पूजा और गणेश चतुर्थी पूजा आने वाली है पर कोई भी विभाग पैरिस ऑफ प्लास्टर की मूर्तियों को रोकने का प्रथम नहीं कर रहा है आखिरी टाइम में जब सामाजिक संस्थाओं और अखबार वाले लिखेंगे तब यह बात आएगी कि अब तो बन चुकी है अगले साल से देखेंगे। पैरिस ऑफ प्लास्टर के साथ उसकी कलर यमुना जी को और सेहत को कितना नुकसान पहुंचाते हैं यह मेरे और आप जैसे आम आदमियों को भी पता है पर जब हम उसकी सुंदरता को देखते हैं तो और मिट्टी की मूर्तियों की उपलब्धता नहीं देखते हैं तो उन्हें पेरिस प्लास्ट की खरीदने पर मजबूर हो जाते हैं ।

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प्राकृतिक संसाधनों को बैलेंस

सूनामी बचाना है तो हमको विकास के साथ उसे शहर प्रदेश और देश की प्राकृतिक संसाधनों को बैलेंस करते हुए आगे बढ़ना होगा 25 लाख पेड़  हर वर्ष कागज की जमीन पर नहीं भूमि पर लगाना होगा नहीं तो यह सुनामी के तैयार रहना होगा ।जिस तरीके से एनसीआर में हम रोज सुनते हैं कि आज हमने झटके महसूस किया वह दिन दूर नहीं कि मैदानी इलाकों में भी इस तरीके के दंश को झेलना पड़े।

दुखी मन से आग्रह और आगाह

राजीव गुप्ता जनस्नेही कलम से
लोक स्वर आगरा
फोन नंबर 98370 97850
Email rajeevsir.taj@gmail.com

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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