आइजोल की तरक्की की पटरियां: मिजोरम के सपनों को मिली रफ्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर में 8000 करोड़ की परियोजना का करेंगे लोकार्पण
प्रदीप कुमार रावत
आइजोल(मिजोरम)। दुर्गम पहाड़ियां से घिरी हुई मिजोरम की राजधानी आइजोल आजादी के 78 साल बाद भी रेलवे नेटवर्क से महरूम रही है। इसे मिजोरम राज्य के लोगों का दुर्भाग्य कहें या देश को एकता में पिरोने में केंद्र की नाकामी कि अभी तक यह क्षेत्र रेलवे नेटवर्क से दूर रहा। यहां लोगों को आवागमन के लिए भारी परेशानियों का सामना तो करना ही पड़ता रहा है इसके साथ ही उनका आर्थिक स्तर भी अवरुद्ध रहा है। केंद्र सरकार ने मिजोरम की इस पीड़ा को समझा और 2014 में पीएम मोदी ने इस दुर्गम एवं चुनौती पूर्ण कार्य की आधारशिला रख शिलान्यास कर दिया। बताया जा रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी एवं रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने भी इसे चुनौती पूर्ण लिया और इसे आगे बढ़ाने का काम किया। अब मिजोरम के लोग भी सितंबर से सीधे देश से जुड़ेंगे ही नहीं बल्कि देश के विकास में भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर पाएंगे। पीएम नरेंद्र मोदी 52 किलोमीटर के इस रेल नेटवर्क को सितंबर में देश को समर्पित करेंगे।

नार्थ ईस्ट के अहम राज्य मिजोरम की राजधानी आइजोल अभी तक रेल मार्ग से कटा हुआ था। देश की आजादी के 78 साल बाद अब जाकर इस क्षेत्र से मिजोरम सीधे जुड़ेगा ही नहीं बल्कि यहां पर विकास को पंख लगेंगे। अभी तक अन्य राज्य के लोग भी यहां आने से बचते रहे हैं, यहां के प्राकृतिक सौंदर्य से अछूते रहे हैं, जबकि मिजोरम नार्थ ईस्ट का अभिन्न राज्य रहा है। यहां पर बेरोजगारी की एक बड़ी समस्या युवाओं के सामने खड़ी हुई है। देश को जोड़ने के लिए आइजोल दुर्गम सड़क मार्ग के साथ साथ हवाई मार्ग से जुड़ा है,जो राजधानी से करीब 40 किलोमीटर दूर है। एयर पोर्ट से मिजोरम की राजधानी आइजोल पहुंचना भी किसी चुनौती से कम नहीं है। नार्थ ईस्ट के इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 8 हजार करोड़ से अधिक बताई जा रही है। यह प्रोजेक्ट बइरबी से साईंरंग तक है। बइरबी असम बॉर्डर पर स्थिति है, बइरबी से साइरंग की दूरी करीब 52 किलोमीटर है। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में करीब 48 टनल, 55 मेजर ब्रिज, 87 माइनर ब्रिज, 5 रोड ओवरब्रिज (आरओबी), 6 रोड अंडर ब्रिज (आरयूबी) शामिल है। यही नहीं इस रेल ट्रैक में साइरंग पर बना 114 हाईट पर बना ब्रिज विशेष है जो देश का दूसरा ऊंचा पुल है।

बइरबी-साइरंग रेल ट्रेक नहीं बल्कि मिजोरम एवं आइजोल को बदलने वाला वह मार्ग है जो यहां के लोगों की तकदीर के साथ इस क्षेत्र की तस्वीर बदलने का काम करेगा। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार देश में तेज गति के साथ रेल नेटवर्क को विस्तार दे रही है, जहां इसी सरकार में चिनाब नदी पर बना सबसे लंबा पुल बना कर इतिहास रचा तो वहीं पम्बन पुल का निर्माण बताता है कि भारत अब पिछड़ा हुआ राष्ट्र नहीं बल्कि दुनियां का नेतृत्व करने वाला देश बनता दिखाई दे रहा है। नार्थ ईस्ट को अभी तक केंद्र सरकारों द्वारा विकास से दूर रखा है, जिसके चलते अभी भी यहां पर पिछड़ापन एवं तमाम कुरुतियाँ देखी जा सकती हैं। पीएम नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व एवं रेल मंत्री की कार्य योजनाओं ने देश के विकास को पंख लगा दिए हैं। अब यही विकास का पहिया तेजी के साथ नार्थ ईस्ट के मिजोरम में भी दिखाई देखा। बाइरबी-साइरंग रेल ट्रैक के बनने के बाद जहां आवागमन बेहतर होगा तो वहीं इस क्षेत्र के कुटीर उद्योग एवं पर्यटन को बढ़ावा मिले तो युवाओं के लिए रोजगार एवं आइजोल में विकास का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।

लुमडिंग रेल डिवीजन के जन संपर्क अधिकारी निलंजन देव ने बताया कि यह रेल परियोजना यहां के विकास में गति देने के साथ-साथ देश के रेल नेटवर्क से जुड़ने का काम करेगी। उन्होंने बताया कि यह बेहद महत्वपूर्ण परियोजना है, अब यह नेटवर्क यहीं नहीं थमेगा बल्कि नेपाल, म्यांमार को जोड़ने के लिए सर्वे शुरू कर दिया गया है, जो लगभग पूर्ण होने को है। यह पीएम नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना है। लुमडिंग के पीआरओ निलंजन देव के अनुसार मिजोरम सरकार और आईआरसीटीसी का टाईअप हुआ है, जिसके माध्यम से मिजोरम में टूरिज्म को प्रमोट करने का काम करेगा, यहीं से इस क्षेत्र में विकास को गति मिलेगी। नार्थर्न रेलवे के अधिकारियों के अनुसार बाइरबी-साइरंग रेल ट्रेक का आधिकारिक लोकार्पण पीएम सितंबर में कर सकते हैं। जिसकी तैयारियां चरम पर हैं। उन्होंने बताया कि यह रेल नेटवर्क यहां के लोगों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने के साथ साथ तमाम उद्योग भी लेकर आएगा। उन्होंने इसका बड़ा कारण बताया कि अभी तक मिजोरम देश से कटा रहा है, अब रेलवे ने इसे जोड़ने का बीड़ा उठाया है तो विकास को धार मिलेगी। रेल नेटवर्क से जुड़ने के चलते देशी-विदेशी कंपनियां निवेश करेंगी तो लोगों को रोजगार मिलने के साथ साथ बाहर जाने का भी रास्ता खुलेगा।
नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे के अधिकारियों के अनुसार रेल मंत्रालय ने पूर्वोत्तर रेलवे की तरफ 80000 करोड रुपए से अधिक का निवेश किया है, जहां भारत सरकार नॉर्थ ईस्ट के राज्यों को रेलवे से जोड़ने का काम कर रही है तो वहीं इस क्षेत्र में एयर कनेक्टिविटी को भी बढ़ाने का काम किया जा रहा है यही कारण है कि नॉर्थ ईस्ट में अब एयरपोर्ट की संख्या 9 से बढ़कर 17 पहुंच गई है। केंद्र सरकार द्वारा पूर्वोत्तर में बढ़ते विकास के चलते निवेशकों का विश्वास यहां की तरफ बढ़ता हुआ दिखाई दिया है। बताया जा रहा है कि नॉर्थ ईस्ट राइजिंग सम्मिट 2025 आयोजित की गई थी, यह समेत पूर्वोत्तर के साढे चार करोड़ लोगों के लिए मील का पत्थर साबित हुई है। भारत सरकार की यह पहला जहां एक तरफ पूर्वोत्तर के लोगों में विश्वास बना रही है तो वही 140 करोड़ देशवासियों के साथ-साथ विदेशों में भी पूर्वोत्तर राज्यों में किया जा रहे विकास की गाथा पहुंच रही है, जो आने वाले समय में इस क्षेत्र के विकास में अहम पड़ाव साबित होगी।
