सेंट थॉमस स्कूल में ‘डोनेशन’ का खेल, अभिभावकों से मांगे दाल-चावल-तेल; जांच के आदेश

Jagannath Prasad
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आगरा, उत्तर प्रदेश – आगरा के प्रमुख मिशनरी स्कूल सेंट थॉमस स्कूल, सुनारी पर अभिभावकों से डोनेशन के नाम पर जबरन राशन (खाद्यान्न) मांगने का गंभीर आरोप लगा है। अभिभावकों की संस्था प्रोग्रेसिव एसोसिएशन ऑफ पेरेंट्स अवेयरनेस (PAPA) ने इसकी शिकायत जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) से की है, जिसके बाद प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।

डोनेशन के नाम पर राशन की मांग

PAPA के राष्ट्रीय संयोजक दीपक सिंह सरीन ने BSA कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने बताया कि स्कूल प्रबंधन बच्चों के अभिभावकों से डोनेशन के रूप में 5 किलो आटा, 2 किलो चावल, आधा किलो दाल और आधा लीटर तेल जैसी वस्तुएं जबरन मंगवा रहा है।

इसके लिए बाकायदा 4 सितंबर की तारीख तय की गई है और अभिभावकों को व्हाट्सएप ग्रुप पर मैसेज भेजकर इसकी जानकारी दी गई है। शिकायत के साथ-साथ इन मैसेजेस के स्क्रीनशॉट भी संलग्न किए गए हैं।

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दीपक सिंह सरीन के अनुसार, स्कूल का यह कदम न केवल अभिभावकों पर अनावश्यक आर्थिक और मानसिक दबाव डाल रहा है, बल्कि यह पूरी तरह से अनैतिक और अवैध भी है।

क्यों गलत है यह प्रथा?

स्कूलों द्वारा डोनेशन मांगना शिक्षा के नियमों के विरुद्ध है। यह कई कानूनों और अधिनियमों का सीधा उल्लंघन है:

* उत्तर प्रदेश शिक्षा अधिनियम 2009: इसकी धारा 13 और 14 के तहत, किसी भी मान्यता प्राप्त स्कूल को बच्चों से अतिरिक्त शुल्क, चंदा या किसी भी प्रकार का डोनेशन लेना प्रतिबंधित है।

* शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act 2009): इस अधिनियम की धारा 12 स्पष्ट करती है कि शिक्षा बच्चों का मौलिक अधिकार है, और इसे दान या किसी अतिरिक्त दबाव से नहीं जोड़ा जा सकता।

* उत्तर प्रदेश स्कूल फीस विनियमन अधिनियम (2018): इस कानून के तहत, विद्यालय केवल निर्धारित शुल्क ही वसूल सकते हैं। किसी भी प्रकार का डोनेशन या योगदान लेना पूरी तरह से अवैध है।

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* राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के दिशानिर्देश: NCPCR के अनुसार भी, स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चों और अभिभावकों से वस्तु या नकद दान लेना बाल अधिकारों का उल्लंघन माना जाता है।

प्रशासन ने लिया संज्ञान, जांच के आदेश

शिकायत मिलने के बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने तुरंत इस मामले पर संज्ञान लिया है। खंड शिक्षा अधिकारी नगर सुमित कुमार सिंह और खंड शिक्षा अधिकारी बरौली अहीर महेश कुमार पटेल को इस मामले में जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। उन्हें स्थलीय जांच करने और जल्द से जल्द एक स्पष्ट रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।

दीपक सिंह सरीन ने प्रशासन से अपील की है कि इस तरह की मनमानी को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं:

* विद्यालय के खिलाफ कड़ी जांच कर कानूनी कार्रवाई की जाए।

* संबंधित प्रबंधन पर दंडात्मक कार्रवाई की जाए।

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* सभी निजी और मिशनरी स्कूलों को स्पष्ट निर्देश दिए जाएं कि वे अभिभावकों से किसी भी प्रकार का दान या योगदान न मांगें।

* भविष्य में ऐसी शिकायतें सामने आने पर दोषी स्कूलों की मान्यता निलंबित की जाए।

इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए, PAPA के राष्ट्रीय संयोजक ने कहा, “शिक्षा बच्चों का अधिकार है, स्कूलों के लिए यह एक सेवा है, व्यवसाय नहीं। बच्चों और अभिभावकों पर डोनेशन का बोझ डालकर शिक्षा को व्यापार में बदलने की किसी भी साजिश का हम पुरजोर विरोध करेंगे।”

यह घटना शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ती मनमानी को उजागर करती है, जिस पर प्रशासन को तुरंत लगाम लगाने की जरूरत है।

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