आगरा में फव्वारा दवा बाजार की 60% दुकानों के शटर नीचे क्यों गिरे? हाल ही में, आगरा के फव्वारा दवा बाजार में ड्रग विभाग और एसटीएफ की संयुक्त टीम ने छापेमारी की, जिसके दौरान बाजार की लगभग 60% दुकानों के शटर अचानक नीचे गिर गए और वे कई दिनों तक बंद रहीं। इस घटना ने नकली और प्रतिबंधित दवाओं के कारोबार को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
छापेमारी के बाद दुकानदारों की प्रतिक्रिया और जांच
छापेमारी की खबर फैलते ही, कई दुकानदारों ने तुरंत अपनी दुकानें बंद कर दीं। इस घबराहट और अचानक दुकान बंद करने के पीछे का कारण नकली और अवैध दवाओं का कारोबार माना जा रहा है। शासन का कहना है कि अगर उनका कारोबार कानूनी और ईमानदारी से चल रहा होता तो उन्हें दुकानें बंद करने की कोई ज़रूरत नहीं थी। इस हरकत ने उन्हें खुद ही शक के घेरे में ला दिया है।
शासन की गंभीरता और अगला कदम
औषधि विभाग की विशेष सचिव रेखा एस. चौहान ने भी इस बात की पुष्टि की है कि जिन दुकानदारों ने छापेमारी के दौरान अपनी दुकानें बंद की थीं, उन सभी की गहन जांच होगी।
* अब तक की कार्रवाई: इस मामले में, दो मेडिकल स्टोर, हे मां मेडिको और बंसल मेडिकल स्टोर के संचालक पकड़े गए हैं, और चार आरोपियों को जेल भेजा जा चुका है।
* सबूत मिटाने की कोशिश: आशंका है कि कुछ कारोबारियों ने छापेमारी के बाद अपने गोदामों से नकली और अवैध दवाओं को हटा दिया है। ताजगंज क्षेत्र में दवाओं को जलाने की घटना को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
* आगे की जांच: शासन इस मामले को गंभीरता से ले रहा है। माना जा रहा है कि जल्द ही बाकी दुकानों और उनके गोदामों की भी जांच की जाएगी।
यह घटना यह दिखाती है कि आगरा में नकली दवाओं का कारोबार बड़े पैमाने पर चल रहा है, जिससे न केवल दवा बाजार की छवि खराब हो रही है, बल्कि यह आम लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी एक बड़ा खतरा है।