आगरा, उत्तर प्रदेश: उटंगन नदी हादसे में 12 लोगों की मौत के पीछे ग्रामीणों ने अवैध खनन और JCB से खोदे गए गहरे गड्ढों को जिम्मेदार ठहराया है। पढ़ें पूरी खबर, जानें राहत कार्य, प्रशासन की भूमिका और लोगों का गुस्सा।
घटना का पूरा विवरण
उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के खेरागढ़ क्षेत्र में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां उटंगन नदी में मूर्ति विसर्जन के दौरान 12 लोग डूब गए। ग्रामीणों का स्पष्ट आरोप है कि यह हादसा खनन माफिया द्वारा जेसीबी से खोदे गए गहरे गड्ढों के कारण हुआ, जो नदी की प्राकृतिक संरचना के साथ की गई छेड़छाड़ का नतीजा है।
कैसे हुआ हादसा?
गुरुवार को कुशियापुर गांव के ग्रामीण डूंगरवाला गांव के पास उटंगन नदी में देवी प्रतिमाओं का विसर्जन करने पहुंचे थे। जैसे ही लोग नदी में उतरे, 13 लोग अचानक गहरे पानी में डूब गए। 1 व्यक्ति को किसी तरह बचा लिया गया। 3 शव गुरुवार रात बरामद हुए। 2 शव शुक्रवार सुबह मिले। बाकी 7 लोगों की तलाश जारी है।
गांव में पसरा मातम

शुक्रवार रात 8:30 बजे पांच मृतकों का अंतिम संस्कार भारी पुलिस बल की मौजूदगी में किया गया। हजारों ग्रामीणों की आंखों में आंसू थे। हर जुबान पर एक ही सवाल था….अगर अवैध खनन न होता, तो क्या ये जानें बच सकती थीं?
ग्रामीणों का साफ आरोप: अवैध खनन ने ली मासूमों की जान
नदी में JCB मशीनों से खनन किया गया। इससे गहरे-गहरे गड्ढे बन गए, जिनमें लोग डूब गए। आमतौर पर उटंगन जैसी छोटी नदियों में इतनी गहराई नहीं होती कि विसर्जन के दौरान लोग डूब जाएं। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस पैसे लेकर खनन को नजरअंदाज करती है और कार्रवाई नहीं करती।
राहत एवं बचाव कार्य जारी

शुक्रवार दोपहर से सेना और NDRF की टीमें राहत कार्य में जुटी हैं। स्टीमर और गोताखोरोंकी मदद से सर्च ऑपरेशन चल रहा है। पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार, मंत्री जयवीर सिंह, सांसद राजकुमार चाहर, विधायक भगवान सिंह कुशवाह, जिलाध्यक्ष प्रशांत पोनिया, चेयरमैन सुधीर गर्ग गुड्डू व अन्य नेता मौके पर पहुंचे। पीड़ित परिवारों को सांत्वना दी जा रही है, पर गांव का गुस्सा शांत नहीं हो रहा।
गांव में आक्रोश, प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन
शुक्रवार सुबह ग्रामीणों ने ऊंटगिरि और कागारौल चौराहों पर जाम लगा दिया। एसडीएम की गाड़ी पर पथराव** हुआ, जिससे शीशा टूट गया। PAC और भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। स्थानीय प्रशासन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं — क्या वे खनन रोक सकते थे?
क्या कहता है कानून और नीति?
उत्तर प्रदेश में नदियों में खनन के लिए सख्त नियम हैं। लेकिन ज़मीनी स्तर पर खनन माफिया खुलेआम नियम तोड़ते हैं। कई बार प्रशासनिक मिलीभगत से अवैध खनन को बढ़ावा मिलता है। ऐसी घटनाएं राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों के लिए गंभीर चेतावनी हैं।
जरूरी सवाल
1. क्या दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी?
2. क्या नदी की गहराई की जांच पहले नहीं की गई थी?
3. क्या भविष्य में ऐसे हादसे रोकने के लिए कोई ठोस योजना बनेगी?
उटंगन नदी हादसा एक मानव निर्मित त्रासदी है, जिसमें प्राकृतिक आपदा नहीं बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और लालच ने जानें लीं। जब तक खनन माफियाओं पर सख्त कार्रवाई नहीं होगी और प्रशासन अपनी ज़िम्मेदारी नहीं निभाएगा, तब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी।
