- चुनाव में संगठन के लोग ही कर गए किनारा
किरावली। बीते चार मई को मतदान का शोर थम चुका है। अब सिर्फ कयासों के दौर चल रहे हैं। प्रत्येक बूथ और वार्ड की अपने हिसाब से समीक्षा और आंकलन हो रहे हैं। मतदान बाद के इस चुनावी गणित में फतेहपुर सीकरी नगर पालिका के अध्यक्ष पद हेतु सत्ताधारी दल को बड़ा नुकसान होता दिख रहा है। अतिशयोक्ति नहीं होगी कि अगर यह चुनावी आंकलन सटीक बैठे तो बड़ा उलटफेर होना तय है।
आपको बता दें कि अध्यक्ष पद हेतु भाजपा, बसपा और सपा ने अपने प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा था। चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा सिर्फ भाजपा और विद्रोही प्रत्याशी की हुई। प्रत्याशी चयन हेतु स्थानीय संगठन द्वारा जिस पैनल को भेजा गया, शीर्ष नेतृत्व द्वारा उस पैनल को ही दरकिनार कर दिया गया। इसके बाद जब प्रत्याशी की घोषणा हुई तो पूरी नगर पालिका के लोग भौचक रह गए। जिस पैराशूट प्रत्याशी को मैदान में उतारा गया था, उसका दूर तक नाम नहीं था।
इधर संगठन के लोग विद्रोह पर उतारू होने लगे। पैनल में शामिल संगठन के पदाधिकारी को ही प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतार दिया गया। पार्टी द्वारा डैमेज कंट्रोल के प्रयास शुरू हुए, लेकिन आशानुरूप सफलता नहीं मिल सकी। चुनाव प्रचार हेतु प्रदेश सरकार के एक कद्दावर मंत्री को भेजा गया, लेकिन हालात विपरीत होते देख मंत्री की सभा ही स्थगित हो गई। इधर विद्रोही प्रत्याशी ने भी पूरे दमखम से मोर्चा संभालते हुए पूरे जोर शोर से चुनाव प्रचार शुरू कर दिया।
विरोधी दलों के प्रत्याशियों को मिलने लग गई बढ़त
सत्ताधारी दल में खींचतान का फायदा उठाते हुए प्रमुख विरोधी दलों के उम्मीदवारों ने मौके को भुनाना शुरू कर दिया। मतदान वाले दिन इसका असर जमकर देखा गया। मतदान के रूझानों में विरोधी दलों के उम्मीदवारों को बढ़त मिलने का संदेश फैलने लगा। इधर सत्ताधारी संगठन के प्रमुख लोगों ने सिर्फ दिखावे भर के लिए उपस्थिति दिखाई। चुनाव प्रचार के आखिरी दिनों में भी विरोधी दलों से लेकर विद्रोही प्रत्याशी ने पूरी तरह रंग जमा दिया। हालांकि 13 मई को आने वाले परिणामों में ऊंट किस करवट बैठेगा, यह भविष्य के गर्भ में छिपा है। परिणाम आने के बाद ही सारी कहानियां साफ होंगी।