उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में एक किसान के बेटे ने अपनी मेहनत और लगन से कांस्टेबल पद से डिप्टी कलेक्टर बनने का सपना साकार कर दिखाया है। आरक्षी दीपक सिंह ने यूपीपीएससी की परीक्षा में 20वीं रैंक हासिल कर यह कारनामा किया है।
दीपक सिंह मूल रूप से जनपद बाराबंकी के रहने वाले हैं। उन्होंने वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश पुलिस में आरक्षी के पद पर भर्ती प्राप्त की थी। उनकी पहली पोस्टिंग हरदोई में हुई थी। दीपक ने पुलिस विभाग में कार्यरत रहते हुए ही पीसीएस की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी।
दीपक के डिप्टी कलेक्टर बनने की खबर से उनके परिवार और गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। उनके माता-पिता और भाई-बहनों को गर्व है कि उनके बेटे ने ऐसा कारनामा किया है।
पिता हैं किसान तो मां हैं गृहणी
दीपक सिंह जनपद बाराबंकी के छोटे से गांव सेमराय के रहने वाले हैं, इनके पिता अशोक कुमार सिंह किसान हैं और माता गृहणी हैं। वह पांच भाई बहनों में दूसरे नंबर पर आते हैं। दीपक सिंह बताते हैं कि उनके गांव और परिवार में वह पहले ऐसे शख्स हैं जिन्होंने सरकारी नौकरी पाई और अधिकारी बन गए, गांव में बेटे के अधिकारी बनने की खबर से परिवार की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा, लोगों के द्वारा बधाइयों का तांता लग गया।
खुद को प्रेरित करने को बोर्ड पर लिख दिया था “एसडीएम”
दीपक सिंह बताते हैं कि कहीं वह अपने लक्ष्य से भटक ना जाएं इसके लिए उन्होंने अपने बिस्तर के पास एक व्हाइट बोर्ड रख लिया था जिस पर ना मिटने वाले मार्कर पेन से एसडीएम लिख लिख लिया था जैसे ही वह सोने जाते तो उन्हें बोर्ड देख कर अपने एसडीएम बनने के लक्ष्य का याद रहता और सुबह उठते ही बोर्ड को देख कर लक्ष्य प्राप्ति में जुट जाते थे। वह हमेशा से ही एक अधिकारी बनने का सपना देखते थे।
पढ़ाई को चार से पांच घंटे ही दे पाते थे
दीपक का कहना है कि पुलिस में नौकरी के साथ पीसीएस की पढ़ाई के लिए उन्हें सिर्फ चार से पांच घंटे ही मिला करते थे, जिसमें वह किराए के 10 बाई 10 के कमरे में रहकर पढ़ाई किया करते थे। साथ पुलिस लाइन में बनी लाइब्रेरी में भी जी तोड़ मेहनत से पढ़ाई करते थे, अंत मे उन्होंने अपने लक्ष्य को पा ही लिया।
बड़े अधिकारियों के आने लगे फोन
दीपक सिंह के डिप्टी कलेक्टर बनते ही पुलिस महकमे में खुशी की लहर दौड़ पड़ी हर कर्मचारियों की बधाइयां मिलनी लगीं वहीं दीपक तब स्तब्ध हुए जब उनके फोन पर पुलिस विभाग के कई बड़े अधिकारियों के भी फ़ोन आने लगे और उन्हें बधाई देने लगे।
दीपक का कहना है कि वह अपने सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, दोस्तों और परिवार को देते हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई इस तरह की परीक्षा की तैयारी कर रहा है तो उसे सबसे पहले तो अपने लक्ष्य को सेट कर लेना है, सपने देखना शुरू कर देना है। जब सपने बड़े होंगे तो उन्हें पूरा करने के लिए खुद ही सफलता दौड़ी चली आएगी।