वैदिक ज्योतिषाचार्य राहुल भारद्वाज ने बताया कि पितृ पक्ष का समय अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस अवधि के दौरान कुछ कार्यों को करना वर्जित होता है, जबकि कुछ कार्य विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं। इस वर्ष पितृ पक्ष 17 सितंबर से शुरू हो रहा है और 2 अक्टूबर तक चलेगा, जो 16 दिनों तक मनाया जाता है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों की पूजा करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
महत्वपूर्ण तिथियाँ:
17 सितंबर 2024:
इस दिन पूर्वान्ह में अनंत भगवान की पूजा की जाएगी। कुतुप काल में 11:30 बजे से 3:00 बजे तक पूर्णिमा का श्राद्ध (नांदी श्राद्ध) किया जाएगा।
18 सितंबर 2024:
प्रतिपदा का श्राद्ध
19 सितंबर 2024:
द्वितीया का श्राद्ध
रिचुअल्स और दिशा-निर्देश
पितृ तर्पण: पितृ तर्पण करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इस कार्य को वैदिक ब्राह्मणों द्वारा करवाना शुभ है। ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्र दान करने से पुण्य प्राप्त होता है।
पशुओं और पक्षियों को भोजन: पितृ पक्ष के दौरान गाय, कौवे, कुत्ते और चींटियों को भोजन कराना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह क्रिया भाग्य और सौभाग्य को बढ़ावा देती है।
अमंगलिक वस्त्र: इस अवधि में प्याज, लहसुन और अन्य तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।
आयोजनों से परहेज: विवाह, सगाई और अन्य मांगलिक कार्यों को इस समय के दौरान टाला जाता है। इसके साथ ही नए कपड़े, जूते या अन्य वस्तुएं खरीदना भी अशुभ माना जाता है। बाल कटवाना, नाखून काटना और शेविंग भी नहीं करनी चाहिए।
धार्मिक क्रियाएँ: जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है, उन्हें इस दौरान गया, उज्जैन जैसे धार्मिक स्थानों पर पिंडदान करना चाहिए। इसके बाद, परिवार सहित वैदिक ब्राह्मणों द्वारा पितृ गायत्री अनुष्ठान करवाना चाहिए।
गृह प्रवेश: पितृ पक्ष के दौरान नए घर में प्रवेश करना (गृह प्रवेश) वर्जित माना जाता है, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है।
पितृ पक्ष एक ऐसा समय है जब लोग अपने पूर्वजों को याद करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए अनुष्ठान करते हैं। इन नियमों और दिशानिर्देशों का पालन करके आप धार्मिक पुण्य प्राप्त कर सकते हैं और अपने पूर्वजों को सम्मानित कर सकते हैं।
वैदिक ज्योतिषाचार्य राहुल भारद्वाज