डॉ. भीमराव अंबेडकर विवि को मिला ए प्लस दर्जा, लेकिन शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठे

Dharmender Singh Malik
4 Min Read

डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय को नैक द्वारा ए प्लस श्रेणी प्राप्त हुई, लेकिन विवि की शिक्षा व्यवस्था, समयबद्धता और संस्थान में स्थायी शिक्षकों की कमी पर गंभीर सवाल उठे हैं। क्या यह ए प्लस दर्जा विवि की वास्तविक स्थिति को दर्शाता है? जानें पूरी खबर।

आगरा। डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) ने ए प्लस श्रेणी प्रदान की है। हालांकि, विवि की स्थिति ए श्रेणी भी प्राप्त करने की नहीं थी, और ए डबल प्लस का सपना देखने वाले विवि को यह सम्मान केवल मान मुनव्वल और प्रयासों के बाद ही मिला।

विवि ने इस परिणाम के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकी थी, जिसमें उच्च स्तरीय प्रयासों के साथ सिफारिशी दबाव भी शामिल था। एक समय में जब राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने विवि के दीक्षांत समारोह से एक दिन पहले नैक के प्रेजेंटेशन का अवलोकन किया और ए डबल प्लस की सिफारिश की थी, तब विवि की उम्मीदें भी बढ़ गई थीं। लेकिन बावजूद इसके, विवि केवल ए प्लस श्रेणी ही प्राप्त कर सका।

See also  आगरा : बहू और ससुरालियों ने प्रसाद में मिलाकर ससुर को दिया जहर, न्यायालय के आदेश पर दर्ज हुआ मुकदमा

शैक्षिक बुनियादी सुविधाओं पर उठे सवाल

वास्तविकता यह है कि डॉ. भीमराव अंबेडकर विवि का शैक्षिक स्तर और समयबद्धता पर गंभीर सवाल उठते हैं। विवि के सबसे महत्वपूर्ण कार्य, जैसे प्रवेश प्रक्रिया, परीक्षा आयोजन और परिणामों की समयबद्ध घोषणा, विगत कुछ वर्षों से बेहद लचर रही है।

विवि में सालों से परिणाम समय से जारी नहीं हो पा रहे हैं और अंकतालिकाओं में अनेकों गलतियाँ पाई जाती हैं, जिन्हें सुधारने के लिए छात्रों को महीनों तक विवि के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इसके अलावा, डिग्रियां भी समय पर छात्रों के घर नहीं पहुंच पातीं, जिससे विद्यार्थियों को अन्य विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने या नौकरी के लिए आवेदन करने में समस्या होती है।

See also  एडीए ने कीठम सूर सरोवर के इको सेंसटिव जोन में बनी अवैध कॉलोनी को किया ध्वस्त

सिस्टम की खामियां और स्थायी शिक्षकों की कमी

विवि के संस्थानों में स्थायी शिक्षकों की भारी कमी है और अधिकांश संस्थान संविदा पर काम करने वाले शिक्षकों पर निर्भर हैं, जिनकी गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठते हैं। इससे न केवल शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है, बल्कि छात्रों को भी कक्षा में पर्याप्त मार्गदर्शन नहीं मिल पा रहा है।

इसके अलावा, विवि की परीक्षा प्रक्रिया भी समयबद्ध नहीं चल रही। सितम्बर माह तक प्रवेश प्रक्रिया जारी रहती है, जबकि सेमेस्टर परीक्षा से पहले 90 दिनों की कक्षाएं चलानी अनिवार्य होती हैं।

क्या है नैक का ग्रेडिंग सिस्टम?

विवि की स्थिति को देखते हुए यह सवाल उठता है कि नैक द्वारा ए प्लस श्रेणी देना विवि के वास्तविक शैक्षिक स्तर से मेल खाता है या नहीं? क्या नैक के ग्रेडिंग सिस्टम में सुधार की आवश्यकता नहीं है, ताकि वाकई में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने वाले संस्थान को उचित सम्मान मिल सके?

See also  भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर खुले रहते हैं स्वर्ग के द्वार- बाल योगी ब्रह्मानंद जी महाराज

हालांकि विवि को ए प्लस का दर्जा प्राप्त हुआ है, लेकिन यह परिणाम विवि की वास्तविक स्थिति से मेल नहीं खाता। विवि के छात्रों की समस्याएं, संस्थान की व्यवस्था और शिक्षा के स्तर को लेकर गंभीर प्रश्न बने हुए हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि विवि अपनी शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए क्या कदम उठाता है और क्या वह अपनी प्रतिष्ठा को सुधार पाता है।

See also  आगरा : बहू और ससुरालियों ने प्रसाद में मिलाकर ससुर को दिया जहर, न्यायालय के आदेश पर दर्ज हुआ मुकदमा
Share This Article
Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
Leave a comment