सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद टीटीजेड क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई, योगी सरकार और वन विभाग पर सवाल, भाजपा नेताओं के दबदबे के चलते पर्यावरण संरक्षण पर उठे सवाल

Dharmender Singh Malik
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सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद टीटीजेड क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई, योगी सरकार और वन विभाग पर सवाल, भाजपा नेताओं के दबदबे के चलते पर्यावरण संरक्षण पर उठे सवाल

आगरा, किरावली: सुप्रीम कोर्ट के कड़े निर्देशों के बावजूद आगरा के किरावली क्षेत्र में टीटीजेड (ताज ट्रेपेजियम जोन) क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई का मामला सामने आया है। इस घटना ने न केवल वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि योगी सरकार के पर्यावरण संरक्षण के दावों की भी पोल खोल दी है। किरावली तहसील के अछनेरा-किरावली मार्ग पर स्थित एक अनाधिकृत कॉलोनी में दो दर्जन से अधिक पेड़ों को अवैध रूप से काटा गया है। इस कॉलोनी को कथित तौर पर भाजपा नेता गंगाधर कुशवाहा द्वारा विकसित किया जा रहा था, जो इस पूरे मामले को और भी विवादित बना देता है।

वन विभाग की मिलीभगत: अवैध कटाई पर सवाल

स्थानीय वन विभाग के कर्मचारियों पर आरोप है कि उन्होंने इस अवैध कटाई की अनदेखी की, जिससे इस कृत्य के बारे में सवाल उठ रहे हैं। मामले के उजागर होने के बाद आनन-फानन में बचे हुए पेड़ों पर नंबर डाल दिए गए, ताकि विभागीय अधिकारियों की भूमिका पर संदेह न हो। इतना ही नहीं, कॉलोनी में नगर पालिका द्वारा किए गए वृक्षारोपण को भी गायब करवा दिया गया। यह स्पष्ट संकेत करता है कि इस मामले में विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है।

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इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि सुप्रीम कोर्ट के कड़े निर्देशों के बावजूद यह कटाई कैसे हुई? क्या योगी सरकार के प्रशासनिक तंत्र का प्रभाव कमजोर हो गया है, या फिर सत्ता और प्रभाव का गलत उपयोग किया गया है?

सत्ता और प्रभाव का दुरुपयोग: भाजपा नेता की भूमिका

गंगाधर कुशवाहा पर आरोप है कि वे भाजपा के प्रभाव का उपयोग करके लंबे समय से अनाधिकृत कॉलोनियों का नेटवर्क चला रहे हैं। उनके द्वारा विकसित की जा रही कॉलोनी में पेड़ों की अवैध कटाई से यह सिद्ध होता है कि वे स्थानीय प्रशासन और वन विभाग के अधिकारियों पर दबाव डालने में सक्षम हैं। इस दबाव के चलते प्रशासन कार्रवाई करने से कतराता रहा। इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि सरकारी राजस्व भी प्रभावित हो रहा है।

यह मामला योगी सरकार के पर्यावरण संरक्षण के दावों को चुनौती देता है। जहां एक ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर्यावरण संरक्षण और कानून व्यवस्था को लेकर सख्त रुख अपनाने का दावा करते हैं, वहीं दूसरी ओर इस तरह के अवैध कार्यों पर कार्रवाई न होने से उनके शासन पर सवाल उठने लगे हैं।

योगी सरकार के पर्यावरण संरक्षण पर सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने ताज ट्रेपेजियम जोन में पर्यावरण संरक्षण के लिए कड़े निर्देश दिए हैं, लेकिन इस मामले में प्रशासन की निष्क्रियता यह साबित करती है कि योगी सरकार के पर्यावरण संरक्षण के दावे सिर्फ शब्दों तक सीमित हैं। जिस क्षेत्र में ताज महल और अन्य ऐतिहासिक स्थल स्थित हैं, वहां पर्यावरण का संरक्षण सबसे अहम है। लेकिन इस तरह की घटनाएं सरकार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़ी करती हैं।

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कुल मिलाकर, यह मामला योगी सरकार की सख्त कार्यवाही और पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनके समर्पण पर संदेह उत्पन्न करता है।

वन विभाग का पक्ष: कार्रवाई का दावा

प्रभागीय वन अधिकारी अरविंद मिश्रा ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “पेड़ों की कटाई के मामले में अभियोग दर्ज किया गया है और न्यायालय में रिपोर्ट प्रस्तुत की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट को भी इसकी जानकारी दी जा रही है।” हालांकि, यह बयान इस घटना के सही कारणों का खुलासा करने में असमर्थ है। यदि मामला पहले से ही दर्ज किया गया था, तो इतनी बड़ी घटना कैसे घटित हो गई, और अब तक जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई? इस सवाल का उत्तर अभी तक नहीं मिला है।

इस मामले में निरंतर डीएफओ आगरा से संपर्क किया गया, लेकिन उनके द्वारा फोन रिसीव नहीं किया गया। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि संबंधित अधिकारी इस मामले में पूरी तरह से निष्क्रिय हैं।

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क्या योगी सरकार लेगी सख्त कार्रवाई?

अब सवाल यह उठता है कि क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मामले का संज्ञान लेंगे और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे, या फिर सत्ता के रसूखदारों के दबाव में यह मामला भी दब जाएगा? यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार अपने पर्यावरण संरक्षण के वादों पर कितनी ईमानदारी से खड़ी उतरती है।

अगर इस तरह के मामलों में सरकार कार्रवाई नहीं करती है, तो यह न केवल पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा बनेगा, बल्कि जनता का विश्वास भी सरकार से उठ सकता है।

आगरा के किरावली क्षेत्र में हुई पेड़ों की अवैध कटाई ने पर्यावरण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वन विभाग और स्थानीय प्रशासन की लापरवाही ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है। अब यह योगी सरकार पर निर्भर है कि वह पर्यावरण संरक्षण के नाम पर किए गए वादों को सच्चाई में बदलती है या फिर इस मुद्दे को नजरअंदाज कर देती है।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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