पं. प्रताप दीक्षित की जयंती पर साहित्यकारों ने किया सार्थक काव्यपाठ

Dharmender Singh Malik
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आगरा: हिन्दी साहित्य सभा के तत्वावधान में देश के प्रसिद्ध व्यंग्य गीतकार पं. प्रताप दीक्षित की जयंती को भव्य रूप से मनाया गया। यह कार्यक्रम नागरी प्रचारिणी सभा में आयोजित हुआ, जिसमें कवि, लेखक, समाजसेवी, पत्रकार और साहित्य प्रेमियों की बड़ी संख्या उपस्थित रही।

कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई, जिसे डॉ. बिजू ने प्रस्तुत किया। इसके बाद मुख्य अतिथि अशोक शिरोमणि और कार्यक्रम के अध्यक्ष ने सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्जवलन एवं माल्यार्पण किया। कार्यक्रम में पं. प्रताप दीक्षित के योगदान को याद करते हुए अनेक वरिष्ठ साहित्यकारों ने काव्य पाठ किया और उनके कार्यों को सराहा।

साहित्यकारों ने की सराहना

कार्यक्रम में डॉ. कुसुम चतुर्वेदी ने पं. प्रताप दीक्षित की जीवंतता और कविता के प्रति उनके समर्पण की चर्चा करते हुए कहा कि वे जीवनभर कविता करते रहे और एक जीवित दिल इंसान थे। वहीं, डॉ. राजकुमार रंजन ने कहा कि उनके सानिध्य में ही उन्हें कविता में निखार मिला।

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वरिष्ठ कवि रमेश पंडित ने वर्तमान राजनीति पर प्रहार करते हुए अपनी रचना प्रस्तुत की: “किससे कह कर गए रामजी केवटों के ही घर तोड़ दो, तोड़ दो भित्तियाँ-वीथियाँ सब तुलसियों के सदन तोड़ दो।”

इसके बाद कवि श्रेष्ठ डॉ. ब्रज बिहारी लाल बिरजू ने अपनी काव्य पंक्तियों से श्रोताओं को प्रभावित किया: “बंजारन बन गयी ज़िन्दगी, घर में कैसे टिके क़दम है। गली-गली फिरता बनजारा, साहस ही इसका हमदम है।।”

कविता में मानवीय मूल्यों का संदेश

कवि यदराम ने मानवीय मूल्यों की स्थापना में कविता के महत्व पर जोर देते हुए अपनी रचना प्रस्तुत की: “आज नहीं तो कल निश्चय ये दानव मुंह की खायेंगे। मानव के शाश्वत मूल्यों का ना अवमूल्यन कर पायेंगे।।”

धौलपुर से पधारी कवयित्री रजिया बेगम जिया ने भी अपने भावों को कविता के माध्यम से संवेदनशील तरीके से व्यक्त किया: “अधरन पर शोभित नाम श्याम पग थिरकन घुंघरू की रुनझुन। कोकिल सा स्वर प्रिय बोल भ्रमर की मधुरम कर्ण सुनें गुनगुन।”

पं. प्रताप दीक्षित की यादें

इस अवसर पर डॉ. राजकुमार रंजन ने पं. प्रताप दीक्षित को याद करते हुए उनकी कविता के सार्थक प्रभाव को साझा किया: “बाँसों के वन उनकी कविता का फल था, व्यंग्य गीत में सचमुच जीवन संबल था, सबको करते गीतों से कह कर विचलित, थे प्रताप कविता-जल बहता कल-कल था।”

इसके अलावा रजनी कान्त लवानिया, डॉ. सुषमा सिंह, श्रीमती अलका अग्रवाल, भुवनेश श्रेत्रिय और अन्य ने भी अपने काव्य पाठ से कार्यक्रम को और भी गरिमामय बनाया।

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सम्मान और आभार

कार्यक्रम के अंत में सभी कवियों और साहित्यकारों को हिन्दी साहित्य सभा के अध्यक्ष अरुण रावत ने सम्मान प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। वरिष्ठ पत्रकार वीरेन्द्र गोस्वामी, ओम ठाकुर सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।

धन्यवाद ज्ञापन राजेश दीक्षित और हिन्दी साहित्य सभा के अध्यक्ष अरुण रावत ने किया।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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