जैतपुर। रविवार के दिन बजरंग आश्रम चौरंगा बीहड़ में चल रही श्रीराम कथा के दूसरे दिन हजारों श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य श्रद्धा, विश्वास और धर्म के महत्व को उजागर करना था। गुरु जी श्री श्री 108 प्रेम दास महाराज के आशीर्वाद से आयोजित यह श्रीराम कथा क्षेत्रवासियों के लिए एक विशेष अवसर बन गई।
कथा वाचक और समाज सुधारक, आचार्य श्री मनोज अवस्थी महाराज ने श्रीराम कथा के दूसरे दिन भगवान शंकर और माता सती के विवाह का विस्तृत वर्णन किया। इस दिन की कथा में श्रद्धालुओं को भगवान गणेश, माता सरस्वती और भगवान शंकर के महत्व के बारे में बताया गया। आचार्य जी ने कहा कि “भगवान गणेश बुद्धि के विधाता हैं और माता सरस्वती बुद्धि की प्रदाता हैं। गणेश जी बुद्धि बनाते हैं, जबकि माता सरस्वती बुद्धि परोसती हैं, इसलिए रामचरितमानस में गणेश जी और माता सरस्वती का स्तवन प्रथम स्थान पर है।”

कथा में भगवान शंकर को विश्वास और माता सती को श्रद्धा का प्रतीक बताया गया। आचार्य जी ने कहा, “जहां श्रद्धा होती है, वहां विश्वास होता है और जहां विश्वास होता है, वहां धर्म का कार्य बढ़ता है। यही हमारी कामना है कि इस श्रीराम कथा के माध्यम से हमारे क्षेत्र में धर्म और श्रद्धा का संचार हो।”
श्रीराम कथा के आयोजन में परीक्षत कमला देवी तोमर, प्रीतम सिंह तोमर, यज्ञपति श्रीमती कण्ठ श्री देवी, श्री कल्यान सिंह यादव और समस्त भक्तगण शामिल थे। यह श्रीराम कथा 11 जनवरी से शुरू होकर 19 जनवरी तक चलेगी, और इसका समापन 20 जनवरी को भंडारे के साथ होगा। इस अवसर पर सभी श्रद्धालुओं से निवेदन किया गया है कि वे ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंचकर इस पुण्य अवसर का लाभ उठाएं और श्रीराम कथा का श्रवण करें।
बजरंग आश्रम पर आयोजित इस कथा के मुख्य उद्देश्य
- श्रद्धा और विश्वास का महत्व: भगवान गणेश, माता सरस्वती और भगवान शंकर के माध्यम से श्रद्धा और विश्वास को बढ़ावा देना।
- धर्म का प्रचार: कथा का आयोजन धर्म के प्रचार और क्षेत्रवासियों के बीच धार्मिक जागरूकता फैलाने के लिए किया गया है।
- सामूहिक भागीदारी: इस आयोजन का उद्देश्य क्षेत्रवासियों को एकजुट करना और उन्हें धार्मिक कार्यों में भागीदारी के लिए प्रेरित करना है।
- धार्मिक संस्कार: श्रीराम कथा के माध्यम से भक्तों में धार्मिक संस्कारों की भावना को जागृत करना।
इस अवसर पर सभी से निवेदन किया गया है कि वे बजरंग आश्रम पर श्रीराम कथा का आनंद लें और धार्मिक कार्यों में भागीदारी कर समाज में एकता और भाईचारे का संदेश फैलाएं।
