9 साल बाद दुर्लभ भौम पुष्प योग में मनेगा मकर संक्रांति का विशेष पर्व

Sumit Garg
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9 साल बाद दुर्लभ भौम पुष्प योग में मनेगा मकर संक्रांति का विशेष पर्व

आगरा: मकर संक्रांति का पर्व इस वर्ष एक विशेष योग के साथ मनाया जाएगा। 9 साल बाद दुर्लभ भौम पुष्प योग बन रहा है, जो मंगल और पुष्य नक्षत्र के मिलन से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है, जो खास तौर पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए शुभ अवसर प्रस्तुत करता है। इस दिन, भगवान शिव कैलाश पर्वत पर माता पार्वती के साथ विराजमान होंगे। यह योग सुख, समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि का संकेत देता है।

क्या है भौम पुष्प योग और शिववास योग?

वैदिक आचार्य पंडित राहुल भारद्वाज के अनुसार, भौम पुष्प योग एक दुर्लभ और खास योग है, जो मंगल और पुष्य नक्षत्र के संगम से बनता है। इस योग के प्रभाव से विशेष रूप से पूजा-पाठ, विशेष अनुष्ठान और दान का महत्व बढ़ता है। वहीं, शिववास योग में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है। यह योग भक्तों को अपनी मेहनत और संकल्पों में सफलता दिलाने के साथ-साथ धार्मिक और सांसारिक उन्नति का मार्ग खोलता है।

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मकर संक्रांति 2025: पुण्यकाल और महत्व

मकर संक्रांति का पर्व हर साल की तरह इस बार भी 14 जनवरी को मनाया जाएगा। यह पर्व विशेष रूप से सूर्य देव की पूजा का दिन होता है। इस दिन लोग स्नान, दान और पूजा-पाठ करके पुण्य अर्जित करते हैं। मकर संक्रांति के दिन विशेष रूप से तिल, गुड़, चावल और अन्य अनाज का दान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पापों का नाश होता है, पुण्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति की समृद्धि में वृद्धि होती है।

मकर संक्रांति का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व

पंडित राहुल भारद्वाज के अनुसार, मकर संक्रांति का पर्व इस बार 14 जनवरी 2025 को मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन विशेष पुण्य काल सुबह 09:03 बजे से शाम 05:46 बजे तक रहेगा, जो लगभग 8 घंटे 42 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा, महा पुण्य काल सुबह 09:03 बजे से रात 10:48 बजे तक रहेगा, जिसकी अवधि 1 घंटे 45 मिनट तक होगी। इस पुण्यकाल में स्नान, दान और धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व है।

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स्नान और दान का महत्व

मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना और जरूरतमंदों को दान देना अत्यंत फलदायी माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन सूर्य देव उत्तरायण की ओर प्रस्थान करते हैं, जिसके कारण इसे उत्तरायणी भी कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान सूर्य की पूजा के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी आराधना की जाती है।

आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ

पंडित राहुल भारद्वाज ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से जीवन के सभी कष्ट और परेशानियां दूर हो जाती हैं। इस दिन विशेष रूप से सूर्यदेव और शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ अत्यधिक लाभकारी होता है।

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मकर संक्रांति का पर्व इस साल विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसमें दुर्लभ भौम पुष्प और शिववास योग का संयोग बन रहा है। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का संचार करने का भी एक अद्भुत अवसर प्रदान करता है। इस दिन के विशेष पुण्यकाल का लाभ उठाकर सभी को सूर्यदेव और शनि देव के आशीर्वाद से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति हो।

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प्रभारी-दैनिक अग्रभारत समाचार पत्र (आगरा देहात)
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